दिल्ली में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के अधिकार को लेकर जारी विवादों पर हाईकोर्ट से केजरीवाल सरकार को झटका लगा है। होईकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि उपराज्यपाल कैबिनेट की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि मंत्रिपरिषद उपराज्यपाल को बताए बिना कोई निर्णय ले सकता है। साथ ही कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।
AAP govt's contention that LG is bound to act on advice of Council of Ministers is without any substance and cannot be accepted: HC.
— Press Trust of India (@PTI_News) August 4, 2016
फैसले की चार खास बातें
1– दिल्ली हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासनिक प्रमुख हैं।
2– हाईकोर्ट ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार की इस दलील में कोई दम नहीं है कि उपराज्यपाल मंत्रियों की परिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं। इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
3– कोर्ट ने कहा कि एसीबी को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई से रोकने की केंद्र की 21 मई 2015 की अधिसूचना न तो अवैध है और न ही अस्थायी।
4– कोर्ट ने कहा कि सेवा मामले दिल्ली विधानसभा के अधिकारक्षेत्र से बाहर हैं और उपराज्यपाल जिन शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे असंवैधानिक नहीं हैं।
फैसले को देंगे चुनौती
आप सरकार के वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि वे तत्काल इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
दिल्ली सरकार ने जुलाई, 2014 और मई 2015 को केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इन अधिसूचनाओं में दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति, तबादले, पुलिस, सेवा और भूमि से संबंधित मामलों में उपराज्यपाल के निर्णय को सर्वोपरि बताया गया है।
वहीं दिल्ली सरकार का कहना है कि अफसरों की नियुक्ति और तबादल करना उनके अधिकार क्षेत्र में है। केंद्र सरकार