वाराणसी को भले ही देश के प्रधानमंत्री का लोकसभा क्षेत्र होने का गर्व प्राप्त हो लेकिन ज़मीनी स्थिति पर इस क्षेत्र के हाई प्रोफाइल होने का कोई असर होता नज़र नहीं आ रहा है।
ख़ास कर बच्चों के कुपोषण की बात की जाए तो स्थिति भयावह शक्ल अख्त्यार कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ शनिवार को कम से कम कुपोषण का शिकार होकर जीवन से जूझते नौ और बच्चों को पं. दीनदयाल जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया।
अब तक इस केंद्र में कुपोषण से ग्रसित बच्चों की तादाद बढ़ कर 20 हो गई है।
अमर उजाला की एक रिपोर्ट में कहा गया कि ये बच्चे लोहता, दानगंज और हरहुआ इलाके के गांवों से उपचार के लिए आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य केंद्रों पर लाए गए थे।
इन बच्चों का इलाज नोडल मेडिकल ऑफिसर डॉ. अब्दुल जावेद की देखरेख में चल रहा है। इस केंद्र में 11 अति कुपोषित बच्चे पहले से ही भर्ती हैं। इस तरह भर्ती बच्चों की संख्या 20 हो गई है जबकि बेड की कुल संख्या मात्र 10 है।
इस साल जनवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वाराणसी में कम से कम एक लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।
अंग्रेजी अख़बार DNA के अनुसार केंद्र सरकार के अधीन बाल विकास विभाग के सर्वे में वाराणसी के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से एक लाख से अधिक बच्चों को कुपोषित चिन्हित किया गया था। बाल विकास परियोजना के अंतर्गत वाराणसी के 0 से 5 साल तक के 379276 बच्चों का वजन किया गया था। इसमें वजन के आधार पर एक लाख से अधिक बच्चे कुपोषण के श्रेणी में पाये गए और 23313 बच्चे अति कुपोषित मिले।