प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विवादास्पद तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद विपक्षी दलों ने इसे किसानों की बड़ी जीत बताते हुए इसे हठधर्मिता की हार बताया है। वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे ‘अन्याय और अहंकारी सरकार के खिलाफ जीत’ करार दिया है। बता दें कि, पिछले करीब एक साल से केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए विवादास्पद तीन कृषि कानूनों को लेकर देश में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रकाश पर्व के मौके पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करके हर किसी को चौंका दिया। उन्होंने अपने संबोधन में आंदोलन खत्म कर किसानों को घर लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसान अपने खेत में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें।
प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा, ”आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूँ कि हमने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।”
#WATCH आज मैं आपको और पूरे देश को बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने का फ़ैसला किया है। मैं सभी आंदोलन किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि अब आप अपने-अपने घर और खेतों की तरफ़ लौटें: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी pic.twitter.com/okHA27Btc8
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 19, 2021
संयुक्त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के निर्णय का स्वागत किया है। हालांकि, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट कर दिया है कि किसान आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। पीएम मोदी की इस घोषणा के बाद किसान नेताओं से लेकर विपक्ष दलों और भाजपा नेताओं तक की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
#WATCH तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद गाजीपुर सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों ने किसान जिंदाबाद के नारे लगाए। pic.twitter.com/3jwtUPGgLR
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 19, 2021
संयुक्त किसान मोर्चा ने क्या कहा?
संयुक्त किसान मोर्चा ने इस घोषणा को लेकर बयान जारी कर बतयाा है कि वो तुरंत किसान आंदोलन को ख़त्म नहीं करने जा रहा है। बयान के मुताबिक, “संयुक्त किसान मोर्चा इस फ़ैसले का स्वागत करता है और संसदीय प्रक्रिया के जरिए इस घोषणा के प्रभावी होने का इंतज़ार करेगा। अगर ऐसा होता है तो ये एक साल के किसानों के संघर्ष की जीत होगी। लेकिन, किसानों का आंदोलन केवल तीन काले क़ानूनों को निरस्त करने के लिए नहीं है बल्कि एमएसपी की गांरटी के लिए भी है।”
कृषि क़ानून रद्द होने पर ऑल इंडिया किसान सभा महासचिव हन्नान मौला क्या कहा?
कृषि क़ानून रद्द होने पर ऑल इंडिया किसान सभा महासचिव हन्नान मौला ने कहा, “मैं इस घोषणा का स्वागत करता हूं। जब तक सदन से इस घोषणा पर कार्यवाही नहीं होती है तब तक यह कोशिश संपूर्ण नहीं होगी। इससे हमारे किसानों की समस्या हल नहीं होगी। MSP के लिए हमारा आंदोलन जारी है और जारी रहेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल होगा उस दिन पूरे देश में लाखों किसान रास्तों पर उतरेंगे। अभी आधी मांग पूरी हुई है। जब तक MSP एक्ट पास नहीं होगा, किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। इसके लिए हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”
राकेश टिकैत ने क्या कहा?
किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने संकेत दिए हैं कि वे किसान आंदोलन तत्काल वापस लेने के मूड में नहीं हैं। टिकैत ने ट्वीट कर कहा, “आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।”
नरेश टिकैत ने क्या कहा?
नरेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा, “किसान बारूद के ढेर पर बैठे हैं। आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे। यह जिम्मेदारी सबको निभानी होगी। जमीन से मोहभंग करना सरकार की साजिश है। जमीन कम हो रही है। किसान से जमीन बेचने और खरीदने का अधिकार भी यह लोग छीन लेंगे। जाति और मजहब को भूलकर किसानों को एक होना होगा।”
राहुल गांधी ने क्या कहा?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!”
प्रियंका गांधी वाड्रा ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “मुझे खुशी है कि यह सरकार समझ गई है कि इस देश में किसानों से बढ़ा कोई नहीं है। इस देश में एक सरकार अगर किसानों को कुचलने की कोशिश करती है और किसान खड़ा हो जाता है तो सरकार को अंत में झुकना ही पड़ेगा। यह सरकार समझ गई है।”
अशोक गहलोत ने क्या कहा?
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा, “तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है। यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है। देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।”
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे कहा, “मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं। यह उनके बलिदान की जीत है।”
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “700 से ज़्यादा किसानों की मौत के बाद अगर ये सरकार कृषि क़ानून वापस लेती है तो इससे पता चलता है कि यह सरकार किसानों के बारे में कितना सोचती है। साल भर से जो किसान और आम जनता का नुकसान हुआ है इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे।”
नवाब मलिक ने क्या कहा?
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा, “आज से तीनों कृषि कानून इस देश में नहीं रहेंगे। एक बड़ा संदेश देश में गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है। चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों का वापस लिया है। किसानों की जीत देशवासीयों की जीत है।”
ममता बनर्जी ने क्या कहा?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “लगातार लड़ने वाले और बीजेपी की क्रूरता के आगे ना झुकने वाले हर एक किसान को मेरी ओर से बधाई। इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खोने वाले सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदना।”
अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, “आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली। तीनों क़ानून रद्द। 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन।”
मनीष सिसोदिया ने क्या कहा?
कृषि क़ानून रद्द होने पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “सरकार को उन तमाम किसान परिवारों से माफी मांगनी चाहिए जिन्होंने इस आंदोलन की वजह से अपनी जान गंवाई। भाजपा के यही लोग थे जिन्होंने किसानों को आतंकवादी बताया था। सरकार का किसानों के साथ एक साल तक ऐसा व्यवहार करना गलत था।”
AAP सांसद संजय सिंह ने क्या कहा?
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, ”आज देश के करोड़ों अन्नदाताओं की जीत हुई है. अन्नदाताओं के आंदोलन की बदौलत, लंबे संघर्ष की बदौलत, उनकी शहादत और कुर्बानी की बदौलत नरेंद्र मोदी जी की अहंकारी और तानाशाह सरकार को झुकना पड़ा और तीनों काले क़ानून वापस लेने पड़े। ये तीन क़ानून इसलिए वापस लिए गए क्योंकि किसान भाई चुनाव दर चुनाव नरेंद्र मोदी जी की सरकार को सबक सिखा रहे थे।”
संजय राउत ने क्या कहा?
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, “आज सरकार को तीनों कृषि क़ानून वापस लेने पड़े हैं, राजनीति की वजह से यह वापस लिए गए हैं लेकिन मैं इसका स्वागत करता हूं। पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनाव में हार के डर की वजह से यह क़ानून वापस लिए हैं। सरकार के ऊपर दबाव था आखिर में किसानों की जीत हुई।”
असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने पर तंज़ करते हुए पीएम मोदी को निशाने पर लिया है। ओवैसी एक शेर में लिखा है, “दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे-कैसे, कलाम आते हैं दरमियाँ कैसे-कैसे, ज़मीन-ए-चमन गुल खिलाती है क्या-क्या, बदलता है रंग आसमाँ कैसे-कैसे।”
ओवैसी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है, ”कृषि क़ानून शुरू से ही असंवैधानिक था। सरकार के अहंकार के कारण किसानों को सड़क पर उतरना पड़ा। अगर सरकार बाल हठ नहीं करती तो 700 से ज़्यादा किसानों की जान नहीं जाती। किसान आंदोलन को बधाई। पंजाब और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की पतली हालत को देखते हुए मोदी के पास और कोई विकल्प नहीं था।”
अखिलेश यादव ने क्या कहा?
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, “अमीरों की भाजपा ने भूमिअधिग्रहण व काले क़ानूनों से ग़रीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सज़ा कब मिलेगी।”
सीताराम येचुरी ने क्या कहा?
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने इस घोषणा पर कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा, ”हमारे किसानों के और उनके साहसी संघर्ष को सलाम जिसके कारण मोदी के तीनों काले क़ानून वापस हुए। हमें इस संघर्ष में जान गंवाने वाले 750 किसानों के त्याग को नहीं भूलना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, ”झूठे मामलों के जरिए सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा निशाना बनाए गए लोगों के लिए न्याय की कोशिश जारी रहेगी। पीएम मोदी को अपने व्यापारिक साझेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि क़ानूनों के अपने तानाशाही कदम के कारण हुई कठिनाई और परेशानियों के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए।”
उन्होंने ट्वीट किया, ”हमारे बहादुर और निडर किसान साथियों को इन काले क़ानूनों की वापसी का पूरा श्रेय जाता है। कितने अफ़सोस की बात है की 750 किसान की मौतों, एक साल के आंदोलन और उनके ख़िलाफ़ गाली, फ़र्ज़ी केस और गाड़ी चढ़ाए जाने के लिए भी कोई रंज, कार्यवाही, या कोई माफ़ी नहीं है अब तक।”
भूपेश बघेल ने क्या कहा?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, देश के किसान जीते हैं और नरेंद्र मोदी का अंहकार हारा है। भाजपा नेताओं द्वारा किसानों को कभी ठग, अंहकारी, कभी चीनी, पाकिस्तानी समर्थक क्या-क्या उनके लिए नहीं कहा गया।प्रधानमंत्री और भाजपा नेताओं को देश और किसानों से माफी मांगनी चाहिए।
नवीन पटनायक ने क्या कहा?
ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी नेता नवीन पटनायक ने ट्वीट कर लिखा, “पीएम मोदी ने देश और किसानों के हित में जो तीनों कृषि क़ानूनों की वापसी का जो फ़ैसला लिया है मैं उसका स्वागत करता हूँ। आपके खेत और आपका परिवार लंबे समय से आपका इंतज़ार कर रहा था और वो आपको वापस देखकर ख़ुश होंगे। बीजेडी किसानों के साथ है।”
मायावती ने क्या कहा?
BSP प्रमुख मायावती ने कहा, “केंद्र सरकार ने कृषि क़ानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है। यह फ़ैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था। इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई। यदि केंद्र सरकार यह फ़ैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारी पार्टी (BSP) की केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है, केंद्र सरकार उन्हें उचित आर्थिक मदद दे और उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी ज़रूर दें।”
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने क्या कहा?
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- प्रधानमंत्री कृषि सुधार की दृष्टि से तीन कृषि क़ानून लेकर आए। मुझे दुख है कि इन कृषि क़ानूनों के लाभ हम देश के कुछ किसानों को समझाने में सफल नहीं हो पाए। हमने कृषि क़ानूनों के बारे में किसानों को समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हो पाए।
योगी आदित्यनाथ ने क्या कहां?
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जब किसान संगठन 3 कृषि क़ानून के विरोध में आए थे तब सरकार ने हर स्तर पर संवाद का प्रयास किया, हो सकता है कि हमारे स्तर पर कमी रही हो कि हमने अपनी बात उन किसानों को समझाने में कहीं न कहीं विफल रहे जिसके कारण उनको आंदोलन का रास्ता लेना पड़ा।”
इसके साथ ही एक अन्य बयान में उन्होंने कहा, “कृषि क़ानून चाहें जैसे भी रहे हों लेकिन अगर कहीं से भी आवाज़ निकली है तो लोकतंत्र में संवाद की अनसुनी नहीं कर सकते। जब कहीं से आवाज़ उठी है तो उसकी भी सुनवाई होगी, बातचीत से, संवाद से हम इन समस्याओं का समाधान करेंगे।”
अनिल विज ने ट्वीट कर कहा?
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता अनिल विज ने ट्वीट कर कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा पर सभी किसान संगठनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आभार प्रकट करना चाहिए और अपने धरने तुरंत उठाकर अपने अपने घरों को जाकर अपने नियमित कामों में लगना चाहिए।”
गौरतलब है कि, केंद्र सरकार के तीनों विवादित कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान पिछले एक साल से अधिक समय से आंदोनलरत थे।
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