देश के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है। पीएम मोदी के इस ऐलान के बाद मोदी सरकार एक बार फिर से विपक्ष के निशाने पर आ गई है। राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा है।

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!”
देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया।
अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो!जय हिंद, जय हिंद का किसान!#FarmersProtest https://t.co/enrWm6f3Sq
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 19, 2021
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा, “तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है। यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है। देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।”
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे कहा, “मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं। यह उनके बलिदान की जीत है।”
मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं। यह उनके बलिदान की जीत है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 19, 2021
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा, “आज से तीनों कृषि कानून इस देश में नहीं रहेंगे। एक बड़ा संदेश देश में गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है। चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों का वापस लिया है। किसानों की जीत देशवासीयों की जीत है।”
आज से तीनों कृषि क़ानून इस देश में नहीं रहेंगे। एक बड़ा संदेश देश में गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है। चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि क़ानूनों का वापस लिया है। किसानों की जीत देशवासीयों की जीत है: महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक pic.twitter.com/woJepkMFgJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 19, 2021
प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा, ”आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूँ कि हमने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।”
आखिरकार केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के आंदोलन के सामने घुटने टेक दिए। केंद्र सरकार के इस फैसले को राजनीतिक दृष्टि से देखने की जरूरत है। अगले साल की शुरुआत में ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिनमें कृषि प्रधान राज्य पंजाब और उत्तर प्रदेश भी शामिल हैं। इन दोनों राज्यों के किसान बीते करीब साल भर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।
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