फ्रांस की एक ऑनलाइन पत्रिका ‘मीडियापार्ट’ ने राफेल घोटाले पर एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि भारत को लड़ाकू जेट बेचने के लिए आकर्षक अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय बिचौलिए सुशेन गुप्ता को 65 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों को 2018 से गुप्ता को 65 करोड़ रुपये की रिश्वत के भुगतान के बारे में पता था, लेकिन दोनों सरकारी एजेंसियों ने कोई कार्रवाई नहीं किया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दस्तावेजों के होने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया।
मीडियापार्ट की इस रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और ऐक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने एक बार फिर से मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “जिस दिन मोदी सरकार अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले से जुड़ी इतालवी फर्म पर से प्रतिबंध हटाती है, उसी दिन फ्रांस से कहानी आती है कि मॉरीशस एजी ने सीबीआई को कागजात की आपूर्ति की थी जिसमें दिखाया गया था कि एजेंट को राफेल सौदे में बड़ा कमीशन मिला था। सीबीआई को हमारी शिकायत के एक हफ्ते बाद की बात है।”
भूषण ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, “यूपीए के समय में एजेंट को किए गए राफेल भुगतान की जांच करने के बजाय, मोदी सरकार ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को हटा दिया, जो जांच का आदेश देने वाले थे। आधी रात को तख्तापलट में और एक लुटेरे, एक बदमाश को स्थापित किया, जिसे अंततः हटाना पड़ा। लेकिन जांच दब गई।”
Instead of investigating the Rafale payoffs made to the agent in UPA time, the Modi govt removed the CBI Director Alok Verma who was about to order an investigation, in a midnight coup& installed a lackey, a scoundrel who eventually had to be removed. But investigation was buried pic.twitter.com/YhXsdUvkcJ
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 8, 2021
फ्रांस की एक ऑनलाइन पत्रिका ‘मीडियापार्ट’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, ‘इसमें ऑफशोर कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और फेक चालान शामिल हैं। मीडियापार्ट यह खुलासा कर सकता है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहयोगियों के पास अक्टूबर 2018 से सबूत हैं कि फ्रांसीसी विमानन फर्म डसॉल्ट ने बिचौलिए सुशेन गुप्ता को कम से कम 65 करोड़ रुपये का सीक्रेट कमीशन भुगतान किया है।’
मीडियापार्ट के मुताबिक, कथित फेक चालानों ने फ्रांसीसी विमान निर्माता दसॉल्ट एविएशन को भारत के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा सेक्योर करने में मदद करने के लिए गुप्ता को सीक्रेट कमीशन कम से कम 7.5 मिलियन यूरो यानी करीब 65 करोड़ रुपए का भुगतान करने में सक्षम बनाया। हालांकि, इन दस्तावेजों के मौजूद होने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने मामले में दिलचस्पी नहीं दिखाई और जांच शुरू नहीं की।
बता दें कि, राफेल घोटाले को लेकर पिछले कई सालों से भारत में राजनीति गर्म रही है और मीडियापार्ट के इस खुलासे के बाद एक बार फिर से हंगामा होना तय माना जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था। भारत के कई राज्यों में अभी चुनाव होने वाले हैं, लिहाजा विपक्ष राफेल डील को मुद्दा बनाकर मोदी सरकार को फिर से घेरने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस ने राफेल सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पार्टी का आरोप था कि जिस लड़ाकू विमान को यूपीए सरकार ने 526 करोड़ रुपए में लिया था उसे एनडीए सरकार ने 1670 करोड़ प्रति विमान की दर से लिया। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया था कि सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे में शामिल क्यों नहीं किया गया। इस फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर 2019 को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस मामले की जांच की जरूरत नहीं है।