हरियाणा: करनाल में किसानों की महापंचायत को लेकर प्रशासन अलर्ट, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात; 5 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद

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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के बाद किसान नेताओं ने मंगलवार को हरियाणा के करनाल में किसानों की महापंचायत बुलाई है। करनाल में आयोजित होने वाली महापंचायत से पहले राज्य सरकार सतर्क हो गई है और 5 जिलों में सभी मोबाइल कंपनियों की इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दी है। इसके साथ ही इलाके में धारा-144 भी लागू की गई है। किसानों की इस सभा में लाखों की संख्या में किसानों की आने की संभावना जताई जा रही है।

करनाल
फोटो: ANI

किसानों के महापंचायत के मद्देनजर जिला प्रशासन व पुलिस की ओर से पूरी तैयारी की गई है। किसानों की इस सभा में लाखों की संख्या में किसानों की आने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, भारी संख्या में पुलिस व पैरामिलेट्री फोर्स की भी तैनात कर दी गई है। एहतियात बरतते हुए सरकार ने 5 जिलों में सभी मोबाइल कंपनियों की इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दी है। जिन जिलों में ये सेवाएं बंद की गई है उनमें करनाल के अलावा कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत और जींद शामिल हैं।

जिले में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 10 कंपनियों सहित सुरक्षा बलों की 40 कंपनियां तैनात की गई हैं, जहां स्थानीय अधिकारियों ने दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगा दिया।

समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए करनाल के एसपी गंगा राम पुनिया ने कहा कि, “महापंचायत को देखते हुए ज़िला प्रशासन और पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख़्ता बंदोबस्त किए गए हैं। पुलिस की 40 कंपनियां अनाज़ मंडी और आस-पास के क्षेत्र में तैनात की हैं।”इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, “पुलिस इसलिए तैनात की गई है कि क़ानून व्यवस्था बनी रहे और कोई भी गैरक़ानूनी गतिविधि न हो। किसान महापंचायत के दौरान हम बातचीत भी करेंगे और चाहेंगे कि मामले का बातचीत से हल निकले।”

बता दें कि, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में रविवार को महापंचायत का आयोजन किया गया था, जहां पर संयुक्त किसान मोर्चा, बीकेयू समेत विभिन्न किसान संगठनों के नेता इकट्ठे हुए थे और केंद्र व राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला था।

गौरतलब है कि, केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को नौ महीने से अधिक समय हो गया है। किसान उन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं जिनसे उन्हें डर है कि वे कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को खत्म कर देंगे, तथा उन्हें बड़े कारोबारी समूहों की दया पर छोड़ देंगे। सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधार और किसानों के हित में बता रही है।

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