कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार रात श्रीनगर में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। उन्हें गुरुवार सुबह शहर के बाहरी इलाके स्थित हैदरपुरा में उनकी पसंद की जगह पर सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। उनके परिवार में उनके दो बेटे और छह बेटियां हैं। उन्होंने 1968 में अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद दोबारा विवाह किया था। उनके निधन के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने घाटी में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया है।

प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के सदस्य और हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के अध्यक्ष गिलानी पिछले दो दशक से विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थे। इसके अलावा वह बढ़ती आयु संबंधी कई अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे। गिलानी के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि गिलानी का निधन रात्रि साढ़े 10 बजे हुआ।
पूर्ववर्ती राज्य में सोपोर से तीन बार विधायक रहे गिलानी 2008 के अमरनाथ भूमि विवाद और 2010 में श्रीनगर में एक युवक की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बन गए थे। वह हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक सदस्य थे, लेकिन वह उससे अलग हो गए और उन्होंने 2000 की शुरुआत में तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया था। आखिरकार उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत कांफ्रेंस से भी विदाई ले ली थी।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि वह गिलानी के निधन की खबर से दुखी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम भले ही ज्यादातर चीजों पर सहमत नहीं थे, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके भरोसे पर अडिग रहने के लिए उनका सम्मान करती हूं।’’
पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन समेत कश्मीर के कई नेताओं ने गिलानी के निधन पर शोक व्यक्त किया। वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी गिलानी के निधन पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए शोक व्यक्त किया।
कश्मीर घाटी में अफवाहों के फैलने के कारण भ्रम की स्थिति पैदा होने से रोकने के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने घाटी में मोबाइल इंटरनेट एहतियातन बंद कर दिया है। पुलिस ने बताया कि एहतियात के तौर पर कश्मीर में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं। (इंपुट: भाषा के साथ)