दिल्ली एंटी करप्शन हेल्पलाइन ने पिछले 6 महिने में कोई भी केस दर्ज नहीं किया: RTI का जवाब

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इरशाद अली

एंटी करप्शन हेल्पलाइन की मुस्तैदी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 6 महिने में कोई भी केस दर्ज नहीं किया गया है। एक RTI से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 6 महिने में हजारों शिकायतें एसीबी को मिली, लेकिन कोई भी केस दर्ज नहीं किया गया।

आरटीआई से इस बाबत मिले जवाब के अनुसार हर महीने लगभग 10 हजार से 30 हजार तक शिकायतें आती है। लेकिन फिर भी एसीबी को किसी केस को दर्ज करने की जरूरत महसूस नहीं हुई।

शिकायतों के आने का आलम ये है कि किसी-किसी महिनें तो 50 हजार से भी ज्यादा शिकायतें तक आ जाती है। लेकिन इससे भी एसीबी की नींद नहीं टूटती है। इस बात का खुलासा जिस RTI के तहत हुआ है उसकी जानकारी दिल्ली के ही रहने वाले वेदपाल ने मांगी थी।

वेदपाल ने दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटिव रिफाॅम्र्स विभाग से जानकारी मांगी की जून 2015 से दिसम्बर 2015 तक की हर महीने में कितनी शिकायतें आई और उन पर क्या कार्रवाई की गई थी। इसके साथ ही उन्होंने ये भी पूछा था कि सीधे एसीबी को कितनी शिकायतें मिली, इस पर एसीबी ने 16 दिसम्बर को जवाब दिया कि जून से लेकर अब तक हेल्पलाइन के माध्यम से मिलने वाली शिकायतों पर कोई भी केस दर्ज नहीं किया गया है। जबकि एसीबी को सीधे मिली शिकायतों के आधार पर पिछले 6 महीने में 10 से ज्यादा केस दर्ज किए गए।


एसीबी की इन 6 महीनों की का कारगुजारी को देखते हुए सवाल ये उठता है कि जब हेल्पलाइन के जरिये लगभग 50 शिकायतें सामने आ रही है तो विभाग उन पर कोई भी कारवाई करने से परहजे क्यों दिखा रहा है जबकि इसके उलटे उन्हें सीधे तौर महिनेभर में केवल 1 या दो शिकायतें ही दर्ज हो पा रही है और कभी वो भी नहीं।

तो फिर ये विभाग मक्खियां मारने के लिये बनाया गया है? अगर आपको 50 से अधिक शिकायतें हेल्पलाइन से आती है जिसका साफ साफ मतलब पता चलता है कि भष्ट्राचार के मुद्दे पर लोगों की भागीदारी और सक्रियता का पैमाना कितना बड़ा और व्यापक है लोगबाग इस मामले में सामने आने से बचते है लेकिन कहीं अगर ऐसा कुछ होता है तो वो आपको बचाने से भी परहेज नहीं रख रहे।

50 हजार से अधिक काॅल का आना इस बात का प्रमाण है जबकि दूसरी तरफ सरकारी तौर पर आपको सीधे सीधे केवल 1 या 2 शिकायतें ही नजर आती है जिससे प्रमाणित होता है कि अब दिल्ली में बिल्कुल भी भष्ट्राचार नहीं रहा। क्यूंकि विभाग द्वारा मामूली शिकायतों को दर्ज करना इसी बात को प्रमाणित करता है। इस तरह के सकेंत पूरे विभाग में बड़ा गोलमाल होने के प्रमाण देते है।

वेदपाल जैसे जुझारू और सक्रिय लोगों की कारगुजारी से एसीबी का ये कारनामा उजागर हुआ है अब जरूरत है इस पूरे मामले को व्यापक और गहरे तौर पर पड़ताल करने की।

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