देश भर में तेजी से पांव पसार चुके कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे भारत में कोहराम मचा रखा है। देश मे कोरोना मामले बढ़ने के साथ-साथ जीवन रक्षक दवाइयों की कालाबाजारी भी तेज होती जा रही है। इस बीच, देश की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले एक गैंग का पर्दाफाश कर 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस विभाग द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, थाना सेक्टर 58 पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की काला बाजारी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है, जिसके तहत 7 आरोपियों को सेक्टर 62 स्थित फोर्टिस अस्पताल के पास से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 2 लाख 45 हजार रुपये नकद साथ ही 9 रेमडेसिविर इंजेक्शन, 1 बिना लेबल का इंजेक्शन, 140 नकली लेवल के रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ साथ 10 अन्य कंपनी के इंजेक्शन और कम्प्यूटर से जुड़े अन्य सामान बरामद किए हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि, हमें लगातार इंजेक्शन की कालाबाजारी की घटनाओं की सूचना प्राप्त हो रही थी, जिसके तहत हम लगातार अपनी निगरानी बनाए हुए थे। इसी क्रम में हमारी एक टीम ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिनमें 3 आरोपी हापुड़, मेरठ और 1 फरु खाबाद का निवासी है।
उन्होंने कहा, आरोपी मेडिकल लाइन से जुड़े होने के कारण मरीज के परिजनों को अपना परिचय दे उन्हें शिकार बनाया करते थे। वहीं आरोपी मेरोपेनीम इंजेक्शन का जैनेरिक इंजेक्शन जो निमोनिया की बीमारी में काम आता है व अन्य सस्ते इंजेक्शन खरीदकर लाते और उस इंजेक्शन का लेबल छुटाकर रेमडेसीवर इंजेक्शन का नकली लेबल चिपका देते, जिसके बाद आरोपी अस्पतालों के पास घूमते और संक्रमित मरीजों से संपर्क कर उन इंजेक्शन को 40 से 45 हजार रुपये में बेच दिया करते थे।
हालांकि, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कई धाराओं में मुकदमें दर्ज किए हैं। पुलिस अब मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है। बता दें कि, ऐसे की कई मामले दिल्ली समेत देश के कई राज्यों से सामने आ चुके हैं।
गौरतलब है कि, तेजी से पांव पसार चुके कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे भारत में कोहराम मचा रखा है।भारत में कोरोना के नए मामले बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में बेड, दवा और ऑक्सीजन की भी भारी कमी देखने को मिल रही है और जिन संक्रमित लोगों को अस नहीं मिल पा रहा है, वह अपने घर में ही बंद पड़े हुए हैं। जिसकी वजह से बहुत से मरीजों को सही समय पर उपचार न मिल पाने की वजह से उनकी जान भी जा रही है।