देश भर में तेजी से पांव पसार चुके कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे भारत में कोहराम मचा रखा है। दिल्ली समेत कुछ राज्यों से ऐसी तस्वारें और वीडियों भी सामने आ रही है जिसे देखकर आपकी रूहें कांप उठेगी। कोरोना की दूसरी लहर से देश में हाहाकार मचा हुआ है, हर रोज रिकॉर्ड लाखों की संख्या में नए मरीज सामने आ रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में नए मरीज सामने आने से अस्पतालों में बेड्स, दवाओं और ऑक्सीजन की कमी देखने को मिल रही है और जिस तरह कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, उसी तरह इस घातक वायरस को मात देने वाली दवाइयों की कालाबाजारी भी बढ़ गई है। इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।

दिल्ली में दवाओं की ब्लैकमार्केटिंग और नकली इंजेक्शन के कालेधंधे में अस्पतालों के स्टाफ का भी कनेक्शन सामने आ रहा है। नांगलोई पुलिस ने ऐसे ही मामले का पर्दाफाश किया है। जहां, शालीमार बाग के एक अस्पताल में बतौर डायलिसिस स्टाफ काम करने वाला व्यक्ति फेक रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने में गिरफ्तार हुआ है।
दरअसल, नांगलोई पुलिस को एक व्यक्ति ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे जाने की खबर दी। फोन करने वाले पीड़ित ने बताया कि उसे अपने चाचा के इलाज के लिए रेमडेसिविर की जरूरत थी तो उसने इंटरनेट से सर्च किया। एक व्यक्ति ने रोहिणी एरिया में इंजेक्शन उपलब्ध कराने की बात कही। तीस हजार रुपये का इंजेक्शन लेकर पीड़ित अस्पताल पहुंचा तो पता चला कि वह नकली है। इंजेक्शन की व्यवस्था होने से पहले ही पीड़ित के चाचा की मौत हो चुकी थी।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसीपी नांगलोई मिहिर सकरिया की टीम ने जांच शूरू की। टेक्निकल सर्विलांस से कमल और दीपक नामक दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। पता चला कि 25 वर्षीय कमल शालीबार बाग स्थित एक अस्पताल में डायलिसिस स्टाफ है और दूसरा गिरफ्तार हुआ 29 वर्षीय व्यक्ति उसका रूम पार्टनर। दीपक घरों पर नर्स की सुविधा उपलब्ध कराने वाला होम केयर सर्विस चलाता है। दोनों के पास से 15 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, 34 हजार रुपये, एक ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद हुआ।
गौरतलब है कि, तेजी से पांव पसार चुके कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे भारत में कोहराम मचा रखा है।भारत में कोरोना के नए मामले बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में बेड, दवा और ऑक्सीजन की भी भारी कमी देखने को मिल रही है और जिन संक्रमित लोगों को अस नहीं मिल पा रहा है, वह अपने घर में ही बंद पड़े हुए हैं। जिसकी वजह से बहुत से मरीजों को सही समय पर उपचार न मिल पाने की वजह से उनकी जान भी जा रही है। (इंपुट: IANS के साथ)