चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के एक बयान को लेकर उन्हें नोटिस भेजा है जिसमें घोष ने कथित रूप से कहा था कि ‘‘सीतलकूची जैसी घटना की पुनरावृत्ति अनेक स्थानों पर होगी’’। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने भाजपा नेता राहुल सिन्हा पर अगले 48 घंटों तक किसी भी तरीके से चुनाव प्रचार करने से रोक लगा दी है। वहीं, चुनाव आयोग ने भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी को बीते 29 मार्च को दिए गए भाषण पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन करने के आरोप में नोटिस जारी किया है।
दिलीप घोष को भेजा नोटिस
उल्लेखनीय है कि, कूच बिहार के सीतलकूची में केंद्रीय बलों की गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे। आयोग ने दिलीप घोष को नोटिस का जवाब देने और इन टिप्पणियों पर अपना रूख स्पष्ट करने के लिए बुधवार सुबह तक का वक्त दिया है। निर्वाचन आयोग से घोष की शिकायत तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई थी। नोटिस में घोष की उस कथित टिप्पणी का जिक्र है, जिसमें कहा गया था, ‘‘यदि कोई अपनी सीमाओं को पार करेगा तो आपने देखा ही है कि सीतलकूची में क्या हुआ। सीतलकूची जैसी घटना कई स्थानों पर होगी।’’
भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी को दी चेतावनी
चुनाव आयोग ने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी को उनके 29 मार्च को दिए गए भाषण के लिए चेतावनी दी है। इसके लिए उन्होंने 9 अप्रैल को जवाब दाखिल किया था। आयोग ने उन्हें सलाह दी है कि जब आदर्श आचार संहिता लागू है तो सार्वजनिक रूप से इस तरह के बयान देने से बचें। नोटिस में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने पाया है कि आदर्श आचार संहिता के कुछ प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है।
चुनाव आयोग ने भाजपा नेता राहुल सिन्हा के चुनाव प्रचार करने पर 48 घंटे की रोक लगाई
वहीं, हाबरा सीट से भाजपा के उम्मीदवार राहुल सिन्हा ने सोमवार को कथित तौर पर विवादित बयान में कहा था कि कूच बिहार के सीतलकुची में चार नहीं, बल्कि आठ लोगों को केंद्रीय बलों द्वारा गोली मार दी जानी चाहिए थी। चुनाव आयोग ने भाजपा नेता राहुल सिन्हा पर अगले 48 घंटों तक किसी भी तरीके से चुनाव प्रचार करने से रोक लगा दी है। सिन्हा आज दोपहर 12 से 15 अप्रैल दोपहर 12 बजे तक प्रचार नहीं करेंगे। उन पर ये रोक चौथे चरण के मतदान के दौरान कूच बिहार के सीतलकुची में हुई हिंसा पर विवादित बयान देने के बाद लगाई गई है।
वहीं, पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के रविवार को दिए बयान से नया विवाद खड़ा हो गया। एक चुनावी रैली में उन्होंने कहा था कि अगर सीतलकूची में मारे गए शरारती लड़कों की तरह किसी ने कानून हाथ में लेने का प्रयास किया तो चुनावों के अगले चरण में भी कूचबिहार की तरह हत्याएं हो सकती हैं। इस पर तृणमूल कांग्रेस ने सख्त आपत्ति जताते हुए उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की थी। वहीं माकपा ने कहा था कि यह बयान भगवा दल के फासीवादी चेहरे को उजागर करता है।
बता दें कि, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 27 मार्च से शुरू हुआ और आठ चरणों में हो रहे चुनाव के बाकी चार चरणों का मतदान 17 अप्रैल से 29 अप्रैल के बीच होगा। (इंपुट: भाषा के साथ)