जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल नीत दिल्ली सरकार का साथ देते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी की निर्वाचित सरकार के खिलाफ अधिकारों के दुरुपयोग की निंदा करते हैं, जबकि आम आदमी पार्टी ने 2019 से ही जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन और उसका दर्जा छीनने का समर्थन किया।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली की निर्वाचित सरकार के अधिकार कम करने के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया है। AAP प्रमुख ने संसद में दिल्ली सरकार के NCT अधिनियम में संशोधन के लिए केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए ट्विटर पर अपना गुस्सा निकाला।
संसद में विधेयक पेश करने पर प्रतिक्रिया देते हुए केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली की जनता द्वारा नकारे जाने (विधानसभा में 8 सीटें और एमसीडी उपचुनाव में 0 सीटें) के बाद भाजपा लोकसभा में विधेयक के जरिए निर्वाचित सरकार की शक्तियां कम करना चाहती है। विधेयक संविधान पीठ के फैसले के विरुद्ध है। हम भाजपा के इस असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी कदम की निंदा करते हैं।’’
केजरीवाल के ट्वीट पर प्रतिक्रियां देते हुए उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘‘2019 में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन और राज्य का दर्जा छीने जाने का आप द्वारा समर्थन किए जाने के बावजूद, हम दिल्ली की निर्वाचित सरकार पर ऐसे हमले की निंदा करते हैं। दिल्ली पूर्ण राज्य का दर्जा पाने की हकदार है और सभी शक्तियां निर्वाचित सरकार के पास होनी चाहिए ना कि उपराज्यपाल के पास।’’
In spite of AAP’s support for the dismemberment & downgrading of J&K in 2019, we still condemn this assault on the powers of the elected government of Delhi. Delhi deserves to be a full state with all powers exercised by the elected government & not a nominated LG. https://t.co/FNki0Skzd3
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 15, 2021
बता दें कि, 2019 में केजरीवाल की पार्टी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और पूर्ण राज्य के रूप में जम्मू-कश्मीर की स्थिति को हटाने के लिए विधेयक पारित करने में भाजपा का समर्थन किया था।
विश्लेषकों का मानना है कि संसद में दिल्ली सरकार के एनसीटी अधिनियम में संशोधन लाने के पीछे का उद्देश्य केजरीवाल सरकार की प्रशासनिक शक्तियों को कम करना है।