VIDEO: कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से जुड़ी यादें साझा करते हुए राज्यसभा में भावुक हुए पीएम मोदी, आंखों से छलके आंसू

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राज्यसभा में सेवानिवृत्त होने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद समेत अन्य सदस्यों को विदाई देने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काभी भावुक दिखे। इस दौरान पीएम मोदी ने खास तौर पर गुलाम नबी आजाद से जुड़ी कई यादें सदन में साझा कीं। गुलाम नबी आजाद ने जिस तरह से जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए काम किया उसे पीएम मोदी ने याद किया। इस दौरान कई बार पीएम मोदी अपने आप को रोक नहीं पाए, उनके आंखों से आंसू छलक पड़े।

गुलाम नबी आजाद

दरअसल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हो रहा है और उनसे जुड़ा एक पुराना वाक्या याद कर पीएम मोदी मंगलवार को भावुक हो गए। पीएम मोदी ने कहा कि जो व्यक्ति ग़ुलाम नबी जी (विपक्ष के नेता के रूप में) का स्थान लेगा, उसे अपना काम पूरा करने में कठिनाई होगी क्योंकि वह न केवल अपनी पार्टी के बारे में बल्कि देश और सदन के बारे में चिंतित था। बता दें कि, संसद का बजट सत्र जारी है। सत्र का पहला चरण 15 फरवरी तक चलेगा।

पीएम मोदी ने कहा, “गुलाम नबी जी जब मुख्यमंत्री थे, तो मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारी बहुत गहरी निकटता रही। एक बार गुजरात के कुछ यात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, इस घटना में करीब 8 लोग उसमें मारे गए थे। सबसे पहले गुलाम नबी जी का मुझे फोन आया, उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। उस समय प्रणव मुखर्जी जी रक्षा मंत्री थे। मैंने उनसे कहा कि अगर मृतक शरीरों को लाने के लिए सेना का हवाई जहाज मिल जाए तो उन्होंने कहा कि चिंता मत करिए, मैं करता हूं व्यवस्था।”

पीएम मोदी ने आगे कहा, “उसी रात को गुलाम नबी जी का फिर फोन आया, वो एयरपोर्ट पर थे। उन्होंने मुझे फोन किया और जैसे अपने परिवार के सदस्य की चिंता करते हैं, वैसी चिंता वो कर रहे थे। पद, सत्ता जीवन में आते रहती है लेकिन उसे कैसे पचाना ये कोई गुलाम जी से सीखे। मेरे लिए वो बड़ा भावुक पल था। दूसरे दिन सुबह फोन आया, मोदी जी सब पहुंच गए। इसलिए एक मित्र के रूप में गुलाम नबी जी का घटना और अनुभव के आधार पर मैं आदर करता हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता, नम्रता, देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना उन्हें चैन से बैठने नहीं देगी। देश उनके अनुभव से लाभान्वित होगा।”

पीएम मोदी ने नेता गुलाम नबी आजाद को सच्चा दोस्त बताते हुए कहा, “मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद जो भी इस पद को संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी, क्योंकि गुलाम नबी जी अपने दल की चिंता करते थे, लेकिन देश और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे। ये छोटी बात नहीं बहुत बड़ी बात है। विपक्ष का नेता होने का मोह किसी को भी हो सकता है। गुलाम नबी जी ने बखूबी इस काम को निभाया है।”

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