पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित मेघालय की वरिष्ठ पत्रकार और शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पैट्रिशिया मुखीम ने यह आरोप लगाते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) से इस्तीफा दे दिया है कि यह सम्मानित बॉडी केवल सेलिब्रिटी पत्रकारों का ही ‘बचाव’ करती है। मुखिम ने कहा कि गिल्ड उनके मामले पर कुछ नहीं बोल रही जबकि उसने गैर सदस्य अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए बयान जारी किए।
दैनिक शिलांग टाइम्स की संपादक पैट्रिशिया मुखीम ने कहा कि ईजीआई उनके मामले में चुप है, जबकि इसने अर्नब गोस्वामी (रिपब्लिक टीवी एडिटर-इन-चीफ) की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए बयान जारी किए, जो कि ना तो बॉडी के सदस्य हैं और ना ही उनकी गिरफ्तारी का आधार पत्रकारिता था। समाचार एजेंसी आईएएनएस ने बात करते हुए उन्होंने कहा कि, गिल्ड का मेरे और गोस्वामी के मामले पर अलग-अलग रुख रहा, इसलिए मैंने सोमवार को अपना त्याग पत्र ईजीआई को भेज दिया।
बता दें कि मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डब्लू डेंगडोह ने 10 नवंबर को अपने फैसले में मुखीम को सीआरपीसी की धारा 153 के तहत सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने का दोषी पाया और शिलॉन्ग की एक पारंपरिक संस्था लॉसोएथन डोरबार शोंग द्वारा दायर की गई प्राथमिकी को खत्म करने की याचिका को भी खारिज कर दिया।
मुखीम ने कहा, मैंने उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को ईजीआई के साथ साझा किया और उम्मीद की कि वह कम से कम अदालत के आदेश की निंदा करने का एक बयान जारी करेगा लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया। जबकि गोस्वामी के मामले में तत्काल बयान जारी किया गया था।
पद्मश्री से सम्मानित पैट्रिसिया ने गिल्ड अध्यक्ष सीमा मुस्तफा को भेजे अपने त्यागपत्र में कहा कि वह सदस्यता से इस्तीफा देना चाहती हैं, इसलिए उनका त्यागपत्र स्वीकार किया जाए। शिलॉन्ग टाइम्स के संपादक के इस्तीफे के बारे में अभी तक ईजीआई की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस साल जुलाई में बास्केटबॉल कोर्ट में नकाबपोश लोगों द्वारा 5 लड़कों के साथ मारपीट करने के बाद आरोपियों की पहचान करने में नाकाम रहने पर मुखीम ने फेसबुक पोस्ट पर लॉसोएथन ग्राम दोरबार (परिषद) पर हमला बोला था। जिसके बाद परिषद ने मुखीम के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दावा किया कि उनके बयान से सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता है और जातीय संघर्ष भड़क सकता है।