मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती ने मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल के विस्तार के ठीक पहले जातीय असंतुलन को लेकर पार्टी नेतृत्व के समक्ष ‘सैद्धांतिक असहमति’ का इजहार किया और मांग की कि मंत्रिमंडल की सूची को संतुलित किया जाए। सूत्रों ने बताया कि उमा भारती ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को संदेश भेज कर राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार में सैद्धांतिक मुद्दों पर गहरी आपत्ति व्यक्त की है।

समाचार एजेंसी वार्ता ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि, उमा भारती ने भाजपा नेतृत्व को भेजे संदेश में कहा है, “अभी मुझे मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल की जो जानकारी मिल रही है, जिनके अनुसार प्रस्तावित मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण बिगड़ा हुआ है, जिनका मुझे दुख है। …मंत्रिमंडल के गठन में मेरे सुझावों की पूर्णत: अनदेखी करना उन सबका अपमान है जिनसे मैं जुड़ी हुई हैं इसलिए जैसे कि मैंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात की है उनके अनुसार सूची में संशोधन किजिए।”
इस बारे में जब उमा भारती से लखनऊ में संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने ना तो इसका खंडन किया और ना पुष्टि। बता दें कि, उमा भारती अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत में पेश होने के लिए लखनऊ गई हैं।
बता दें कि, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार का आज मंत्रिमंडल विस्तार हुआ। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल का दूसरे विस्तार में 28 मंत्रियों को प्रभारी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जिन 28 मंत्रियों ने शपथ ली है, उनमें 20 कैबिनेट और आठ राज्यमंत्री है। मंत्रिमंडल के 11 सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं जो करीब चार महीने पहले ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं।