दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (23 जून) को जामिया मिल्लिया इस्लामिया की 27 वर्षीय छात्रा सफूरा जरगर को जमानत दे दी है। बता दें कि, दिल्ली हिंसा से जुड़े केस में उनकी गिरफ्तारी हुई थी, अब उन्हें मानवीय आधार पर जमानत मिली है, जिसका केंद्र सरकार ने भी समर्थन किया। सफूरा 23 हफ्ते की गर्भवती हैं और उनकी बेल को लेकर सोशल मीडिया पर लंबे वक्त से मांग उठ रही थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सफूरा जरगर से किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होने के लिए भी कहा है जिससे जांच पर असर हो, उन्हें दिल्ली नहीं छोड़कर जाने को भी कहा। बता दें कि, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत जरगर को गिरफ्तार किया गया था।
जामिया समन्वय समिति की सदस्य जरगर को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने दस अप्रैल को गिरफ्तार किया। उसने निचली अदालत द्वारा चार जून को जमानत देने से इंकार करने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। 27 साल की सफूरा जामिया विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी कर रही हैं और वह जामिया कार्डिनेशन कमेटी की सदस्य भी हैं।
इससे पहले सोमवार को दिल्ली पुलिस ने जेल में बंद सफूरा जरगर की जमानत का विरोध किया था। दिल्ली पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में जरगर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपी महिला के खिलाफ स्पष्ट एवं ठोस मामला है और इस तरह वह गंभीर अपराधों में जमानत की हकदार नहीं है, जिसकी उसने सुनियोजित योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। इसने कहा कि मजबूत, ठोस, विश्वसनीय और पर्याप्त सामग्री मौजूद है जो जामिया में एम फिल की छात्रा जरगर के सीधे संलिप्त होने का सबूत है। वह 23 हफ्ते की गर्भवती है।
पुलिस ने कहा कि वह अलग प्रकोष्ठ में बंद है और किसी दूसरे से उसके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना नहीं है। इसने कहा कि इस तरह के घृणित अपराध में आरोपी गर्भवती कैदी के लिए कोई अलग से नियम नहीं है कि उसे महज गर्भवती होने के आधार पर जमानत दे दी जाए और कहा कि पिछले दस वर्षों में दिल्ली की जेलों में 39 महिला कैदियों ने बच्चों को जन्म दिया।