यूपी प्रशासन का अमानवीय चेहरा: कोरोना लॉकडाउन में पलायन कर बरेली पहुंचे मजदूरों पर किया गया केमिकल का छिड़काव, योगी सरकार पर भड़के मायावती-अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी

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कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में प्रशासनिक अफसरों के एक अमानवीय रवैये का वीडियो सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। ट्विटर पर शेयर किए जा रहे वीडियो में कथित तौर पर सड़क के एक कोने में लोगों के ऊपर केमिकल की बौछारें मारते हुए दिखाया जा रहा है। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने श्रमिकों का इस तरह इलाज करने की आलोचना की है।

बरेली

बरेली में दूसरे जिलों से आए प्रवासी मजदूरों लोगों को बीच सड़क पर बैठाकर उनके ऊपर सैनेटाइजर का छिड़काव करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बताया जा रहा है कि इन लोगों में वह मजदूर भी शामिल हैं जो कि देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा से चलकर अपने घरों को जा रहे थे। इन मजदूरों में कई ऐसे लोग भी थे जो कि परिवार के साथ घरों को लौट रहे थे और सभी को प्रशासन के इस व्यवहार का सामना करना पड़ा। इस तरह की घटना सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने इसकी निंदा की है। उन्होंने ट्वीट किया, “देश में जारी जबर्दस्त लॉकडाउन के दौरान जनउपेक्षा व जुल्म-ज्यादती की अनेकों तस्वीरें मीडिया में आम हैं परन्तु प्रवासी मजदूरों पर यूपी के बरेली में कीटनााशक दवा का छिड़काव करके उन्हें दण्डित करना क्रूरता व अमानीवयता है जिसकी जितनी भी निन्दा की जाए कम है। सरकार तुरन्त ध्यान दे।”

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “बेहतर होता कि केन्द्र सरकार राज्यों का बाॅर्डर सील करके हजारों प्रवासी मजदूरों के परिवारों को बेआसरा व बेसहारा भूखा-प्यासा छोड़ देने के बजाए दो-चार विशेष ट्रेनें चलाकर इन्हें इनके घर तक जाने की मजबूरी को थोड़ा आसान कर देती।”

वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इसको लेकर ट्वीट करते हुए कहा, ”यूपी सरकार से गुजारिश है कि हम सब मिलकर इस आपदा के खिलाफ लड़ रहे हैं, लेकिन कृपा करके ऐसे अमानवीय काम मत करिए। मजदूरों ने पहले से ही बहुत दुख झेल लिए हैं। उनको केमिकल डाल कर इस तरह नहलाइए मत। इससे उनका बचाव नहीं होगा बल्कि उनकी सेहत के लिए और खतरे पैदा हो जाएंगे।

वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर प्रदेश की योगी सरकार को घेरते हुए ट्वीट कर पूछा, ”यात्रियों पर सेनिटाइजेशन के लिए किए गए केमिकल छिड़काव से उठे कुछ सवाल। क्या इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश हैं? केमिकल से हो रही जलन का क्या इलाज है? भीगे लोगों के कपड़े बदलने की क्या व्यवस्था है? साथ में भीगे खाने के सामान की क्या वैकल्पिक व्यवस्था है?”

सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करने के बाद बरेली प्रशासन ने कहा कि उसने प्रवासी श्रमिकों पर रासायनिक छिड़काव में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था। बरेली के जिला मजिस्ट्रेट नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा, “इस वीडियो की पड़ताल की गई, प्रभावित लोगों का सीएमओ के निर्देशन में उपचार किया जा रहा है। बरेली नगर निगम एवं फायर ब्रिगेड की टीम को बसों को सैनेटाइज़ करने के निर्देश थे, पर अति सक्रियता के चलते उन्होंने ऐसा कर दिया। सम्बंधित के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।”

हिंदुस्तान टाइम्स ने अग्निशमन विभाग के एक स्थानीय अधिकारी के हवाले से बताया कि, पानी को सोडियम हाइपोक्लोराइट (लिक्विड ब्लीच) के साथ मिलाया गया है। इस अधिकारी ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई।

गौरतलब है कि, वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश में 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। पीएम मोदी ने मंगलवार की रात देश को संबोधित करते हुए ऐलान किया था कि ‘आज रात 12 बजे से पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन होगा, उन्होंने कहा कि ये लॉकडाउन कर्फ्यू की तरह ही होगा।’ इस लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल को समाप्‍त होगी।

कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों को शहर छोड़कर अपने-अपने घरों की ओर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बसें और ट्रेनें रद्द होने की वजह से ये मजदूर पैदल घर जाने के लिए ही मजबूर हो रहे हैं।

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