विपक्षी सदस्यों के शोर शराबे के बीच भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने गुरुवार (19 मार्च) को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। इस दौरान कांग्रेस सांसदों समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने ‘शेम-शेम’ के नारे भी लगाए।

दरअसल, उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर रंजन गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है। इसके बाद गोगोई ने सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली। वहीं, जब गोगोई शपथ ग्रहण कर रहे थे उस समय विपक्ष के सदस्यों ने सदन से वॉक आउट किया था।
इस पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आपत्ति जाहिर की और कहा कि ऐसा करना बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि, ‘राज्यसभा की एक महान परंपरा रही है कि यहां पर विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रतिष्ठित व्यक्ति आए हैं, जिनमें पूर्व सीजेआई भी शामिल हैं। गोगोई, जिन्होंने आज शपथ ली है, वह निश्चित रूप से अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे। ऐसा करना (सदन से वॉक आउट) घोर अनुचित था।’
बता दें कि, रंजन गोगोई को राज्यसभा सांसद बनाए जाने को लेकर मोदी सरकार चौतरफा आलोचना का सामना कर रही है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के कई नेता पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई द्वारा दिए गए फैसलों से मोदी सरकार को फायदा पहुंचने के एवज में पद पाने का आरोप लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि, भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को हाल ही में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनित किया था। उन्हें सोमवार को राज्यसभा सदस्य के लिए नामित किया गया था। उन्होंने पांच जजों की बैंच का नेतृत्व करते हुए मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने से एक दिन पहले 70 साल पुराने अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने ही राम मंदिर मामले में फैसला सुनाया था। उन्होंने इस मामले में लगातार 40 दिनों तक सुनवाई कर केस का निपटारा किया था। न्यायमूर्ति गोगोई देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश रहे। उन्होंने देश के प्रधान न्यायाधीश का पद तीन अक्टूबर 2018 से 17 नंवबर 2019 तक संभाला।


















