सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कांफ्रेन्स के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत नजरबंदी को चुनौती देने वाली उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर शुक्रवार (14 फरवरी) को जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को 2 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
फाइल फोटोन्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी को चुनौती देने वाली सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर दो मार्च को सुनवाई की जायेगी। सारा अब्दुल्ला पायलट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए। सारा अब्दुल्ला पायलट ने 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून 1978 के तहत अपने भाई की हिरासत को ‘अवैध’ बताया और कहा था कि शांति व्यवस्था बहाल रखने को लेकर उनसे किसी खतरे का सवाल ही नहीं उठता।
याचिका में जन सुरक्षा कानून के तहत पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हिरासत में रखने के पांच फरवरी के आदेश को खारिज करने और उन्हें कोर्ट के समक्ष हाजिर करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। बता दें कि, पांच अगस्त को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के साथ ही इसे दो केंद्र शासित हिस्सों में बांट दिया था।
Supreme Court issues notice to the Jammu and Kashmir administration on the plea of Sara Abdullah Pilot, former J&K CM Omar Abdullah’s sister challenging his detention under Jammu and Kashmir Public Safety Act, 1978. The Court asks J&K administration to file a reply by March 2. pic.twitter.com/JFzyYfVthc
— ANI (@ANI) February 14, 2020
गौरतलब है कि, उमर अब्दुल्ला पिछले साल अगस्त से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में थे। इस कानून के तहत, उमर अब्दुल्ला की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि 5 फरवरी को खत्म होने वाली थी लेकिन 5 जनवरी को सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया है। इसके बाद उनकी हिरासत को 3 महीने से 1 साल तक बिना किसी ट्रायल के बढ़ाया जा सकता है। (इंपुट: भाषा के साथ)