CBI बनाम CBI: रिश्वत मामले में पूर्व निदेशक राकेश अस्थाना को क्लीन चिट मिली

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से जुड़े रिश्वत के एक मामले में दुबई के उद्योगपति एवं कथित बिचौलिये मनोज प्रसाद के खिलाफ मंगलवार को आरोपपत्र दायर किया।

फाइल फोटो

अदालत सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने हालांकि विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजीव अग्रवाल के समक्ष दायर आरोपपत्र में अस्थाना को क्लीन चिट दी। एजेंसी ने साथ ही रॉ प्रमुख एस के गोयल को मामले में पाक साफ करार दिया है जो इस मामले में जांच के घेरे में थे। सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार को भी एजेंसी से क्लीन चिट मिल गई जिन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया था और जिन्हें बाद में जमानत मिल गई थी।

प्रसाद को 17 अक्टूबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें उसी वर्ष 18 दिसम्बर को जमानत मिल गई थी। सूत्रों के अनुसार आरोपपत्र में जिक्र है कि मामले में जांच अब भी जारी है और एजेंसी पूरक रिपार्ट दायर कर सकती है। सीबीआई के अनिवार्य 60 दिन की अवधि में आरोपपत्र दायर करने में विफल रहने पर दिसम्बर 2018 में दिल्ली की एक अदालत ने प्रसाद को वैधानिक जमानत प्रदान कर दी थी।

निचली अदालत ने गत वर्ष 31 अक्टूबर को कुमार को जमानत दे दी थी जब एजेंसी ने उनकी अर्जी का विरोध नहीं किया था। उन्हें 23 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ मामला हैदराबाद के उद्योगपति सतीश सना की शिकायत पर दर्ज किया था जो 2017 के उस मामले में जांच का सामना कर रहा था जिसमें मांस निर्यातक मोइन कुरैशी कथित तौर पर शामिल था। सना ने आरोप लगाया था कि अधिकारी ने उसे क्लीन चिट में मदद की थी।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, राकेश अस्थाना के वकील अमित आनंद तिवारी ने दावा किया कि सीबीआई द्वारा दी गई क्लीन चिट मामले में उनकी बेगुनाही का सबूत है। उन्होंने कहा, ‘अस्थाना का यह कहना है कि उन्हें तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने गलत तरीके से फंसाया और जानबूझकर फंसाया है। सीबीआई को काफी पहले रिपोर्ट दायर कर देनी चाहिए थी। देरी से दाखिल किए जाने के कारण एक झूठे केस में मेरे मुवक्किल को एक साल से अधिक समय तक प्रताड़ित किया गया।’ (इंपुट: भाषा के साथ)

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