नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अहम टिप्पणी की है। प्रणब मुखर्जी ने विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर देश में उभरे युवाओं के स्वर का हवाला देते हुए गुरुवार (23 जनवरी) को कहा कि सहमति और असहमति लोकतंत्र के मूल तत्व हैं।
प्रणब मुखर्जी ने निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित पहले सुकुमार सेन स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा, “भारतीय लोकतंत्र समय की कसौटी पर हर बार खरा उतरा है। पिछले कुछ महीनों में विभिन्न मुद्दों पर लोग सड़कों पर उतरे, खासकर युवाओं ने इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आवाज़ को मुखर किया। संविधान में इनकी आस्था दिल को छूने वाली बात है।”
पूर्व राष्ट्रपति ने देश में जारी आंदोलनों से जुड़े किसी मुद्दे का नाम लिए बिना कहा, “आम राय लोकतंत्र की जीवन रेखा है। लोकतंत्र में सभी की बात सुनने, विचार व्यक्त करने, विमर्श करने, तर्क वितर्क करने और यहां तक कि असहमति का महत्वपूर्ण स्थान है।” उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि देश मे शांतिपूर्ण आंदोलनों की मौजूदा लहर एक बार फिर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को गहरा और मजबूत बनाएगी।”
पूर्व राष्ट्रपति ने देश में लोकतंत्र के मजबूत आधार का श्रेय भारत में चुनाव की सर्वोच्च मान्यता को देते हुए कहा, ‘मेरा विश्वास है कि देश में चुनाव और चुनाव प्रक्रिया को पवित्र एवं सर्वोच्च बनाए रखने के कारण ही लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हुई हैं। यह सब भारत के चुनाव आयोग की संस्थागत कार्ययोजना के बिना संभव नहीं होता।
"Indian Democracy has been tested time and again. Consensus is the lifeblood of Democracy.Democracy thrives on listening, deliberating, discussing, arguing and even dissent."
Delivered the first Sukumar Sen lecture instituted by the Election Commission of India. #CitizenMukherjee pic.twitter.com/ZXpWvR1q7H— Pranab Mukherjee (@CitiznMukherjee) January 23, 2020
उल्लेखनीय है कि, नागरिकता संशोधन कानून हो या एनआरसी या यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि का मुद्दा विरोध-प्रदर्शन और अपनी राय जाहिर करने देशभर में लोग सड़कों पर उतरे हैं जिनमें अधिकांश छात्र हैं। (इंपुट: भाषा के साथ)