भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (आईआईटी-के) के एक वरिष्ठ प्रोफेसर को जबरन सेवानिवृत्ति दी जाएगी। प्रोफेसर विदेशी छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे हैं। इसका निर्णय इस सप्ताह हुई बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में लिया गया। बोर्ड के इस फैसले के बाद संस्थान में हड़कंप मचा है। आईआईटी-कानपुर के इतिहास में यह पहली बार है कि इस तरह का फैसला लिया गया है।

जानकारी के मुताबिक, यह घटना इस साल सितंबर में हुई, जब विदेशी छात्रा ने शिकायत की कि सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर ने उसका यौन उत्पीड़न किया है। समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, आईआईटी प्रशासन ने शुरू में इस मुद्दे को दबाने की कोशिश की और एक हफ्ते तक कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पीड़िता ने अपनी शिकायत महिला सेल में और अपने दूतावास में भी की।
दूतावास के हस्तक्षेप के बाद आईआईटी अधिकारी ने जांच शुरू की। दूसरे विदेशी छात्रों, संकाय सदस्यों व कर्मचारियों से पूछताछ की गई और सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की गई। विभिन्न स्तरों पर तीन महीने की लंबी पूछताछ के बाद रिपोर्ट ने आरोपी प्रोफेसर को दोषी ठहराया।
आईएएनएस के मुताबिक एक वरिष्ठ संकाय सदस्य ने कहा, “बोर्ड ने फैसला किया कि आरोपी प्रोफेसर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जानी चाहिए, जिससे कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में नहीं हों। सेवानिवृत्ति के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है।” आईआईटी प्रशासन ने इस मामले पर किसी तरह का बयान जारी नहीं किया है।