निर्भया केस: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज की, फांसी की सजा बरकरार

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सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड में चार दोषियों में से एक द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका बुधवार को खारिज कर दी। निर्भया बलात्कार मामले में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले के खिलाफ एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

फाइल फोटो

न्यायमूर्ति आर भानुमति की अगुवाई में तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने याचिका खारिज कर दी। इस पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए.एस बोपन्ना भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि जो तर्क बचाव पक्ष की तरफ से दिए गए उन पर पहले भी सुनवाई हो चुकी है। जांच और ट्रायल बिल्कुल सही हुआ है। पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका किसी अपील पर बार-बार सुनवाई के लिए नहीं होती।

कोर्ट ने कहा, ‘‘हमें 2017 में दिए गए मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं मिला।’’ मुजरिम के वकील वकील एपी सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा। इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय काफी है।

पीठ ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए समय सीमा तय करने के बारे में टिप्पणी करने से परहेज किया। पीठ ने कहा कि दोषी दया याचिका दायर करने के लिए कानून के तहत निर्धारित समय ले सकता है।

इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘मानवता रोती’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है। मेहता ने कहा था, ‘‘कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे। ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए।

वहीं, दोषी की आरे से पेश हुए वकील एपी सह ने अदालत से कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण की वजह से पहले ही लोगों की उम्र कम हो रही है और इसलिए दोषियों को मौत की सजा देने की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नौ जुलाई को इस मामले के तीन दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिकायें यह कहते हुये खारिज कर दी थीं कि इनमें 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है।

दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर 2012 की रात में छात्रा के साथ चलती बस में छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया था। इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।

इस मामले के छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। इस आरोपी को सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद रिहा कर दिया गया था। (इंपुट: भाषा के साथ)

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