प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को अपनी मंजूरी दे दी गई है। इस बिल को भी मौजूदा संसद सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। सरकार इस बिल को इसी सप्ताह लोकसभा में पेश करने की तैयारी में हैं।
इस विधेयक के संसद में पारित होकर कानून बन जाने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न के शिकार हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसियों, जैनों और बौद्ध अनुयाइयों को भारत की नागरिकता दी जा सकेगी। यह विधेयक चुनिंदा श्रेणियों के अवैध प्रवासियों को नागरिकता का पात्र बनाने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 को संशोधित करने के लिए है।
Sources: Union Cabinet today approved the proposal to extend the SC/ST reservation for Lok Sabha and State Assemblies which was to expire on January 25, it has been extended for the next 10 years. pic.twitter.com/UsyFp7oGuN
— ANI (@ANI) December 4, 2019
इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं करने पर विपक्ष, अल्पसंख्यक संगठनों और अन्य ने हमला बोला है। उन्होंने इस तर्क पर भी इस विधेयक का विरोध किया कि यह संविधान के खिलाफ है, क्योंकि संविधान धर्म के आधार पर किसी नागरिक से भेदभाव नहीं करता है।
इस विधेयक का कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, राजद और वाम दलों जैसी विपक्षी पार्टियों द्वारा जोरदार तरीके से विरोध करने के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों ने भी इस पर आपत्ति दर्ज कराई है। इस विधेयक का पूर्वोत्तर में भी भारी विरोध हुआ है। (इंपुट: आईएएनएस के साथ)