तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां गुरुवार को स्कूटी सवार एक 23 वर्षीय महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर की उस समय मौत हो गई, जब AIADMK का अवैध रूप से लगा हुआ बैनर कथित तौर पर उसके ऊपर जा गिरा, और उसके बाद एक वॉटर टैंकर ने भी उसे टक्कर मार दी। मृतक लड़की की पहचान शुभाश्री के रूप में की गई है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक IT कंपनी में काम करने वाली शुभाश्री गुरुवार को अपने दोपहिया पर सवार होकर पल्लावरम-तोरईपक्कम रेडियल रोड पर जा रही थी, तभी सड़क पर लगा एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) का अवैध बैनर उस पर गिर पड़ा, बैनर काफी बड़ा था जिसके गिरने के बाद लड़की वहीं गिर गई। जिसके कुछ ही सेकंड के बाद एक टैंकर ने उसके स्कूटर को टक्कर मार दी, जिससे शुभाश्री के सिर पर चोट आई। घटना के बाद स्थानीय लोगों ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया गया। चश्मदीदों के मुताबिक, दफ्तर से घर जा रही सुबाश्री ने हादसे के समय हेल्मेट भी पहना हुआ था।
होर्डिंग पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. पलानीसामी तथा उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम के अलावा भूतपूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की तस्वीरें थीं, और यह सड़क के बीच बनी पटरी पर सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) के स्थानीय नेता सी. जयगोपाल ने लगवाया था। जयगोपाल ने यह होर्डिंग अपने परिवार में होने वाले विवाह समारोह के सिलसिले में लगवाए थे, जिसमें उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने शिरकत की थी।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई दक्षिण क्षेत्र के संयुक्त पुलिस आयुक्त (JCP) सी. माहेश्वरी ने बताया, “ये होर्डिंग अनधिकृत हैं। हम उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, जिन्होंने इन्हें लगवाया था।” टैंकर के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है। चेन्नई के स्थानीय प्रशासनिक निकाय ने उस प्रेस को सील कर दिया है, जिसमें इन होर्डिंग को छापा गया था। पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने बताया, “हमने रैश ड्राइविंग, सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने और लापरवाही से जान लेने का केस दर्ज कर लिया है।”
मद्रास उच्च न्यायालय (एमएचसी) के कई चेतावनियों और आदेशों के बावजूद राजनीतिक दलों और उनके समर्थकों ने अभी भी लोगों के जीवन को खतरे में डालते हुए ऐसे अवैध होर्डिंग्स लगाते हैं। साल 2017 में मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में मुख्य सिग्नलों पर बैनर, होर्डिंग्स और विज्ञापनों पर बैन लगाने का आदेश जारी किया था। यह फैसला एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद दिया गया था।