विपक्ष के कड़े ऐतराज के बीच तीन तलाक विधेयक लोकसभा के बाद मंगलवार को राज्यसभा में भी पारित कर दिया गया। राज्यसभा में बिल के समर्थन में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इस विधेयक के विरोध में मतदान किया। इस बिल के पास होने पर एक ओर जहां प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लिए खुशी का दिन बताया है, वहीं कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं, बिल पास होने के बाद तो ट्विटर पर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ही आपस में भिड़ गए।

तीन तलाक बिल पास होने के बाद एनसीपी नेता उमर अब्दुल्ला ने अपने ही राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधा। उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट के जरिए आरोप लगाया कि महबूबा मुफ्ती की पार्टी की गैरमौजूदगी ने राज्यसभा में बिल पास कराने में मोदी सरकार की एक तरह से मदद की। इस विवाद की शुरुआत महबूबा मुफ्ती के एक ट्वीट से हुई।
राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर लिखा, ‘तीन तलाक बिल को पास कराने की जरूरत को समझ नहीं पा रही हूं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इसे अवैध करार दिया था। फिर मुस्लिम समुदाय को दंडित करने के लिए इसमें हस्तक्षेप करने की क्या जरूरत थी? अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, क्या यह वास्तव में प्राथमिकता होनी चाहिए थी?’
इस पर उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती को जवाब देते हुए कहा, “महबूबा मुफ्ती जी, आप को यह चेक करना चाहिए कि इस ट्वीट से पहले आपके सदस्यों ने कैसे वोट किया। मुझे लगता है कि उन्होंने सदन में अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद की क्योंकि बिल पास कराने के लिए उन्हें सदन में नंबर चाहिए थे।”
Mehbooba Mufti ji, you might want to check how your members voted on this bill before tweeting. I understand they abstained which helped the government with the numbers needed to pass the bill. You can’t help the government & then “fail to understand need to pass”! https://t.co/Z0Ma5ST5ko
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 30, 2019
उमर अब्दुल्ला के इस तंज के बाद महबूबा मुफ्ती ने भी पलटवार किया। उन्होंने एक जवाबी ट्वीट में कहा, “उमर साहब, मेरा सुझाव है कि आप नैतिकता का ऊंचा पाठ पढ़ाना बंद कर दीजिए क्योंकि यह आपकी अपनी ही पार्टी थी जिसने 1999 में बीजेपी के खिलाफ मतदान करने के लिए सोज साहब (सैफुद्दीन सोज) को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।”
इस पर अब्दुल्ला ने फिर जवाब देते हुए कहा, “मैडम, अगर 20 साल पुरानी घटना को याद करके आप पीडीपी के छल का बचाव कर सकती हैं तो करिए? इसलिए आप स्वीकार कर रही है कि आपने अपने सांसदों को सदन से गैरहाजिर रहने का निर्देश दिया था और इस गैर-मौजूदगी ने इस बार बीजेपी की मदद की।”
Madam, is recounting an incident from TWENTY years ago the best you can do to defend PDP duplicity? So you are accepting you instructed your MPs to abstain. And no an abstention is NOT a no vote, a no vote is a no vote. An abstention helped the BJP this time. https://t.co/wSolvuk8Mq
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 30, 2019
गौरतलब है कि संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।