जेडीएस-कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को आज यानी शुक्रवार (29 जुलाई) को विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है। येदियुरप्पा ने ध्वनिमत के जरिए विश्वास प्रस्ताव जीतकर विधानसभा में सोमवार को अपना बहुमत साबित किया। संख्या बल भाजपा सरकार के पक्ष में होने की वजह से कांग्रेस- जद (एस) ने येदियुरप्पा द्वारा पेश किए गए एक पंक्ति के विश्वास प्रस्ताव पर मत विभाजन का दबाव नहीं बनाया। इस प्रस्ताव में येदियुरप्पा ने कहा था कि सदन उनके नेतृत्व में बनी तीन दिन पुरानी सरकार में भरोसा जताता है।

चूंकि विपक्ष ने मत विभाजन के लिए दबाव नहीं बनाया, अध्यक्ष के आर रमेश ने घोषणा की कि प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया जाता है। भाजपा के आसानी से विश्वासमत हासिल करने की संभावना थी क्योंकि अध्यक्ष द्वारा 17 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद 225 सदस्यीय विधानसभा की संख्या घट कर 208 रह गई थी।
14 और बागी विधायक अयोग्य घोषित
इससे पहले कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने रविवार को 14 और बागी विधायकों को दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य करार दे दिया। इस कार्रवाई से विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी संख्या घटकर 104 रह गई है और इससे हाल में बनी भाजपा सरकार के लिए सोमवार को विश्वासमत हासिल करना आसान हो गया।
विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) ने यह कार्रवाई कांग्रेस के 11 और जद(एस) के तीन विधायकों के खिलाफ की है। इससे पहले तीन विधायकों को अयोग्य ठहराया गया था। इससे अब बहुमत हासिल करने के लिए जरूरी संख्या घटकर 104 रह गई है, जो भाजपा के मौजूदा 105 विधायकों से एक कम है। भाजपा को एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन हासिल है।
17 बागी विधायकों को वर्तमान विधानसभा के 2023 में कार्यकाल समाप्त होने तक सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने से 224 सदस्यीय विधानसभा (स्पीकर को छोड़कर, जिन्हें मत बराबर होने की स्थिति में मतदान का अधिकार है) में प्रभावी संख्या 207 हो गई है। बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 104 होगा।
भाजपा के पास एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से 106 सदस्य, कांग्रेस के पास 66 (मनोनीत सदस्य सहित), जद(एस) के पास 34 विधायक हैं। वहीं, एक बसपा सदस्य को उनकी पार्टी ने निष्कासित कर दिया है, क्योंकि उन्होंने 23 जुलाई को विश्वासमत के दौरान कुमारस्वामी सरकार के लिए मतदान नहीं किया था।
कुमारस्वामी की गिर गई थी सरकार
एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार द्वारा पेश विश्वास मत पर मतविभाजन के समय 20 विधायकों के अनुपस्थित रहने से उनकी सरकार गिर गई थी। इन 20 विधायकों में 17 बागियों के अलावा एक..एक विधायक कांग्रेस और बसपा से, जबकि एक निर्दलीय था।
स्पीकर ने इससे पहले तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के समय ही स्पष्ट कर दिया था कि दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया कोई भी सदस्य वर्तमान सदन के कार्यकाल की समाप्ति तक चुनाव नहीं लड़ सकता या निर्वाचित नहीं हो सकता। इस दलील को भाजपा, बागी विधायकों और कई अन्य विधिक विशेषज्ञों ने चुनौती दी है।
विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों के नाम पढ़ते हुए कहा, ‘‘ये तत्काल प्रभाव से 15वीं विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति (2023 में) तक विधायक नहीं रहेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने यह निर्णय जिम्मेदारी और भय के साथ लिया है।’’ कुमार ने भावुक होते हुए कहा, ‘‘जिस तरह से एक विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर इन चीजों से निपटने को लेकर मुझ पर मानसिक दबाव डाला जा रहा है, मैं काफी अवसाद में चला गया हूं।’’
ये हैं अयोग्य ठहराए गए विधायक
अयोग्य ठहराये गए विधायक हैं: प्रताप गौड़ा पाटिल, बी सी पाटिल, शिवराम हेब्बर, एस टी सोमशेखर, बी बसावराज, आनंद सिंह, रोशन बेग, मुनीरत्न, के. सुधाकर और एम टी बी नागराज और श्रीमंत पाटिल (सभी कांग्रेस के)। अन्य पार्टी विधायकों रमेश जरकीहोली, महेश कुमातली और शंकर को बृहस्पतिवार को अयोग्य ठहराया गया था। कार्रवाई का सामना करने वाले जद(एस) के विधायकों में गोपालैयाह, ए एच विश्वनाथ और नारायण गौड़ा हैं।
अयोग्य ठहराये गए बागी विधायकों में से कई अभी भी मुम्बई में रुके हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे स्पीकर की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। अयोग्य घोषित किए गए विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल ने मतदाताओं के लिए जारी एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘प्रिय मतदाताओं और मेरे शुभचिंतको, विधानसभा अध्यक्ष ने मुझे विधानसभा से अयोग्य घोषित करने का आदेश जारी किया है…घबराने की कोई जरूरत नहीं है, हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं।’’
इसके साथ ही एक अन्य अयोग्य विधायक मुनिरत्न ने एक स्थानीय समाचार चैनल से कहा कि वे इस बात से अवगत थे कि उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, क्योंकि कांग्रेस नेताओं ने उन्हें इस बारे में धमकी दी थी। मुनिरत्न ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कई नेता गठबंधन मंत्रिमंडल की समाप्ति चाहते थे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के भीतर नेताओं ने सरकार को निर्बाध ढंग से चलाने में कुमारस्वामी का सहयोग तक नहीं किया।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वे (कांग्रेस नेता) अब यह दिखाने का खेल कर रहे हैं कि वे जद (एस) के प्रति वफादार हैं…आगामी दिनों में लोगों के सामने हम हर चीज का खुलासा कर देंगे।’’ भाजपा ने स्पीकर की कार्रवाई की आलोचना की और इसे ‘‘अनुचित और कानून के खिलाफ बताया।’’ उसने कहा कि यह कार्रवाई एक पार्टी की ओर से ‘‘बढ़ते दबाव के चलते की गई है।’’
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली एक पीठ ने गत बुधवार को विधानसभाध्यक्ष को 15 विधायकों के इस्तीफे पर अपने विवेक के अनुसार समयसीमा के अंदर निर्णय करने की स्वतंत्रता दी थी। पीठ ने यह भी फैसला दिया था कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। 76 वर्षीय येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उन्होंने शपथ लेने के बाद कहा था कि वह 29 जुलाई को सदन में अपना बहुमत साबित करेंगे और वह इसमें सफल भी हो गए हैं।