कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद मध्य प्रदेश में भी वैसी ही स्थिति होने की संभावना का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बुधवार को बड़ा झटका लगा। कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार गिराने के बाद मध्य प्रदेश प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कमलनाथ सरकार को आंखे तरेरने लगी थी, मगर बुधवार की रात होते-होते मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक मारा कि पूरी भाजपा ही हिल गई है।
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की संयुक्त सरकार के गिरे अभी 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए कि दूसरे दलों के सहयोग से मध्य प्रदेश में चल रही सरकार के भविष्य पर भाजपा की ओर से सवाल उठाए जाने लगे थे, क्योंकि राज्य में विधायकों की संख्या के गणित को देखें तो एक बात साफ है कि बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस विधायकों की संख्या दो कम है।
दरअसल, कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार गिराने के बाद से मध्य प्रदेश में वैसा ही कुछ करने का इरादा रखने वाली भारतीय जनता पार्टी को बुधवार को बड़ा झटका लगा। विधानसभा में कराए गए मत विभाजन में भाजपा के दो विधायकों ने विधेयक को पास कराने में सरकार का साथ दिया। कांग्रेस का दावा है कि भाजपा के कई और विधायक उसके संपर्क में हैं।
बीजेपी के दोनों विधायक नारायण त्रिपाठी एवं शरद क़ौल कांग्रेस पार्टी की रीति-नीति से प्रभावित होकर कांग्रेस के साथ आये हैं – सुरेश पचौरी pic.twitter.com/ZZssP8QSLu
— MP Congress (@INCMP) July 24, 2019
विधानसभा में बुधवार को दंड विधि संशोधन विधेयक पेश किया गया, जिस पर चर्चा के दौरान बहुजन समाज पार्टी के विधायक संजू कुशवाहा ने मत विभाजन की मांग रखी। इस दौराना सत्ता और विपक्ष के सदस्यों के बीच जमकर बहस हुई।विधानसभा अध्यक्ष एऩ पी़ प्रजापति ने विधायक कुशवाहा की मांग पर मत विभाजन कराया तो विधेयक के पक्ष में 122 विधायकों ने मतदान किया। इसमें भाजपा के दो विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने कमलनाथ सरकार के विधेयक के पक्ष में मतदान किया।
कांग्रेस का दावा है कि मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्योहारी से विधायक शरद कोल ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया है। त्रिपाठी ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि भाजपा में उनकी उपेक्षा हुई है।मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है, “भाजपा पिछले छह माह से रोज कहती रही कि हमारी सरकार अल्पमत की सरकार है। इस पर हमने सोच लिया कि हम बहुमत सिद्ध कर देंगे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाए। आज हुआ मतदान एक विधेयक पर मतदान नहीं है यह बहुमत सिद्ध होने का मतदान है।”
Bhopal: The two BJP MLAs, Narayan Tripathi & Sharad Kaul, who voted in favour of Kamal Nath Govt during voting on criminal law(amendment) in Madhya Pradesh assembly today, have been sent to an undisclosed location by Congress. They will attend a dinner with CM Kamal Nath tonight. pic.twitter.com/1J30yv0zJF
— ANI (@ANI) July 24, 2019
वहीं, भाजपा के विधायक नरोत्तम मिश्रा का कहना है, “खेल कांग्रेस ने शुरू किया है, खत्म हम करेंगे।” मिश्रा के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा भी कांग्रेस के विधायकों को तोड़ सकती है।सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि अभी तो दो विधायकों ने साथ दिया है भाजपा के कई और विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। बसपा विधायक राम बाई ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की सराहना करते हुए कहा कि कमलनाथ की सरकार अडिग है।
कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा का कहना कि भाजपा को अब समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस सरकार को गिराने की मंशा सिर्फ खयाली पुलाव है। दंड विधि संशोधन विधेयक पारित होने से यह साबित हो गया है कि कमलनाथ सरकार का किला कितना अभेद्य है। मत विभाजन में कांग्रेस के विधेयक के समर्थन में 122 विधायकों ने मतदान किया।
कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। उसे चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा के विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह कांग्रेस को कुल 121 विधायकों का समर्थन हासिल है। वहीं भाजपा के पास 108 विधायक हैं, इस तरह उसे अभी सात विधायकों की दरकार है। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरी तो राज्य में भी भाजपा के खेमे में हलचल तेज हो गई।
भाजपा की ओर से आए बयानों के बीच कमलनाथ ने साफ तौर पर चुनौती दे डाली कि बहुमत का परीक्षण करा ली, वे तैयार हैं। गौरतलब है कि पूर्व में भी भाजपा के कई नेता राज्य सरकार को गिराने में ज्यादा समय न लगने का दावा कर चुके हैं। इन बयानों के बीच कमलनाथ ने हर बार यही कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार को कोई खतरा नहीं है और वह पूरे पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी। (इनपुट- आईएएनएस के साथ)