सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून में प्रस्तावित संशोधन को लेकर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी द्वारा आलोचना किए जाने के बाद अब सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी आरटीआई कानून में संशोधन के प्रयासों की आलोचना की है। अन्ना हजारे ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर इस बिल के जरिए भारतीय नागरिकों से धोखा करने का आरोप लगाया है।

लोकसभा द्वारा सूचना के अधिकार कानून में संशोधन पारित करने के एक दिन बाद सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर इस कदम के जरिये भारतीय नागरिकों से धोखा करने का आरोप लगाया। सोमवार को लोकसभा ने आरटीआई कानून में संशोधन किया जिसके तहत इस विधेयक में उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे।
अन्ना हजारे ने कहा, ‘‘भारत को आरटीआई कानून 2005 में मिला था लेकिन आरटीआई कानून में इस संशोधन से सरकार इस देश के लोगों के साथ धोखा कर रही है।’’ 82 वर्षीय हजारे ने कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है लेकिन यदि देश के लोग आरटीआई कानून की शुचिता की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरें तो वह उनका साथ देने के लिए तैयार हैं। हजारे अहमदनगर जिला स्थित अपने गांव रालेगांव सिद्धि में बोल रहे थे। हजारे के आंदोलन के चलते महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र सूचना का अधिकार कानून बनाया था जिसे सूचना के अधिकार कानून 2005 का आधार माना जाता है।
दरअसल मोदी सरकार आरटीआई के दो सेक्शन में बदलाव करना चाहती है। जिसमें पहला है सेक्शन-13, इसमें संशोधन कर मोदी सरकार मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल में बदलाव करेगी। (इंपुट: भाषा के साथ)