#NRC विवाद: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- ‘भारत को दुनिया की रिफ्यूजी कैपिटल नहीं बना सकते’

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और असम सरकार ने शुक्रवार (19 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को अंतिम रूप देने के लिए तय 31 जुलाई की समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया। कोर्ट से आग्रह किया गया कि वह एनआरसी की समयसीमा के लिए कोई नई तारीख दे। शीर्ष न्यायालय एनआरसी को अंतिम रूप देने के लिए तय समय सीमा को बढ़ाने के केंद्र व राज्य सरकार के अनुरोध पर 23 जुलाई को सुनवाई करेगा।

(REUTERS)

इस दौरान केंद्र सरकार ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि भारत दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं बन सकता। केंद्र और राज्य सरकार ने एनआरसी में शामिल नागरिकों के नमूने के सत्यापन का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ लगते जिलों में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण लाखों लोगों को गलत रूप से असम एनआरसी में शामिल किया गया।

केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बांग्लादेश के साथ लगते जिलों में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण लाखों लोगों को गलत रूप से असम एनआरसी में शामिल किया गया है।
मेहता ने दलील दी कि गलत तरीके से कुछ लोगों को शामिल किए जाने और कुछ लोगों को उससे बाहर रखे जाने का पता लगाने के लिए 20 फीसद नमूना सर्वेक्षण के सत्यपान की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमें एनआरसी में शामिल लोगों के लिए नमूना सत्यापन की प्रक्रिया पर फिर से विचार करने की जरूरत है।” न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार के अनुरोध पर विचार के लिए 23 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है। बता दें कि
असम के लिए एनआरसी का पहला मसौदा शीर्ष न्यायालय के निर्देश पर 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी 2018 की दरम्यिानी रात को प्रकाशित हुआ था।

उस समय 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम इनमें शामिल किए गए थे। 20वीं सदी की शुरुआत में बांग्लादेश से असम में बड़ी संख्या में लोग आए। असम इकलौता राज्य है जहां एनआरसी है जिसे सबसे पहले 1951 में तैयार किया गया था।

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