उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बुधवार (17 जुलाई) को हुए सामूहिक हत्याकांड का बवाल अभी थमा भी नहीं कि संभल में बेखौफ बदमाशों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम दे डाला। बुधवार को संभल में बेखौफ बदमाशों ने पेशी पर आए कैदियों की गाड़ी पर हमला कर तीन कैदियों को छुड़ाकर भाग गए। इस हमले में दो बहादुर पुलिसकर्मी शहीद हो गए। पुलिस ने बताया कि दो सिपाहियों को गोली मारकर तीन कैदी फरार हो गए। दोनों सिपाहियों की इलाज के दौरान मौत हो गई। बदमाश एक पुलिसकर्मी की राइफल भी अपने साथ ले गए हैं।

फरार हुए कैदियों में पहला कैदी कमल बहादुर और दूसरा कैदी शकील ब्रह्मपुरा थाना के बहजोई का और तीसरा कैदी धर्मपाल भगतपुर बहजोई का रहने वाला है। तीनों कैदियों की चंदौसी में पेशी होने के बाद गाड़ी उन्हें लेकर वापस मुरादाबाद जेल लौट रही थी, उसी दौरान यह घटना हुई। संभल के पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने बताया कि घटना में पुलिसकर्मी ब्रजपाल व हरेंद्र की मौत हो गई है। दोनों पुलिसकर्मी पुलिस लाइन बहजोई में तैनात थे।
शहीद पुलिसकर्मियों को नहीं नसीब हुआ तिरंगा
इस बीच सोशल मीडिया पर शहीद पुलिसकर्मियों की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस लोगों के निशाने पर आ गई है। दरअसल, अंतिम यात्रा के दौरान शहीद पुलिसकर्मियों के शरीर को तिरंगा में नहीं लपेटे जाने को लेकर लोगों में काफी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि लिंचिंग के आरोपी के लिए तिरंगा है, लेकिन यूपी पुलिस के शहीद जवानों के लिए नहीं है।
पुलिस की यह बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है। शहीदों की अर्थी को एक सफेद कपड़े में लपेटा गया है, जबकि शहीदों को तिरंगे में लिपटाकर श्रद्धांजलि दी जाती है। लोगों का कहना है कि शहीद हुए इन बहादुर सिपाहियों के प्रति इतना अन्याय क्यों किया गया? एक पत्रकार ने तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है कि अंतिम यात्रा के दौरान कम से कम शहीद जवानों के शरीर को तिरंगा में लपेटा जा सकता था।
Senior police official paying last respects to fallen heros of @Uppolice who were killed in the line of duty in Sambhal. At least their bodies could have been wrapped in tri-colour for the final journey.
RIP. pic.twitter.com/gMuB26KpKl
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) July 18, 2019
तिरंगे में लिपेटा गया था अखलाक की हत्या के आरोपी का शव
आपको बता दें कि अखलाक हत्याकांड एक आरोपी की जेल में रहने के दौरान अक्टूबर 2016 में बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। गांव वालों ने पुलिस की मौजूदगी में उसके शव को तिरंगे में लपेटा था, क्योंकि उनका मानना था कि वो शहीद था, जिसने हिंदू मूल्यों की रक्षा की थी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के दादरी के बिसाहड़ा गांव में 2015 के सितंबर महीने में भीड़ ने कथित तौर पर गोमांस रखने के संदेह के चलते 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।
इस मामले के एक आरोपी रवि सिसोदिया की अक्टूबर, 2016 में पुलिस हिरासत में लंबे समय तक बीमार रहने के चलते मौत हो गई थी, जिसके शव को तिरंगे में लपेटे जाने को लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था। फ्रीजर वाले ताबूत में रखे रवि के शव पर जब तिरंगा लपेटा गया तो पुलिस वहां मौजूद थी। रवि के परिवार और गांव वालों का आरोप था कि मौत जेल में उसके साथ हुई ज्यादती और पिटाई से हुई है।
हालांकि, रवि अखलाक हत्याकांड में शामिल था या नहीं, ये सवाल अभी जांच के घेरे में था। जानकारों का कहना है कि नियमों के अनुसार, राजकीय सम्मान के साथ होने वाले अंत्येष्टि, सशस्त्र बलों या दूसरे अर्ध सैनिक बलों की अंतिम यात्रा के अलावा किसी भी हाल में तिरंगा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
Provocative & hate speech being delivered in Bishahra villg in #Dadri after Ravi died of kidney failure Video by @rvmoorthyhindu @the_hindu pic.twitter.com/fBq5NcFl9Z
— Mohammad Ali (@hindureporter) October 6, 2016
देखें, लोगों की प्रतिक्रियाएं:
सम्भल में कल शहीद हुए पुलिसकर्मियों को पहले एंबुलेंस नसीब नहीं हुई , और अब शहीदों की अर्थी पर कपड़ा तक नहीं सही ढंग से ओढ़ाया गया है। शहीदों के शव को तिरंगा झंडे के कपड़े से श्रद्धांजलि दी जाती है जबकि यहां मुरादाबाद पुलिस खानापूर्ति करती दिखाई दे रही है @Uppolice pic.twitter.com/CKkD4RcbiR
— Sharad Shukla (@sharadshukla911) July 18, 2019
संभल में बदमाशों की गोलियों से शहीद हुए पुलिसकर्मियों को एक अदद तिरंगा तक नसीब नहीं हुआ। ड्यूटी पर रहते हुए गोली लगी और ऐसा सम्मान, कुछ तो कदर होनी चाहिए थी। @Uppolice, @myogiadityanath, @PMOIndia, @igrangemeerut, @JagranNews, #crime, #Police pic.twitter.com/qlIbkijWyh
— Vinay K Tiwari (@Vinay_Journalis) July 18, 2019
UP सरकार का शर्मनाक चेहरा देखिए।
UP सरकार के पास अपने शहीद पुलिस के सिपाहियों को श्रद्धांजलि देने के लिए तिरंगा तक नहीं है।कल शाम संभल में दिनदहाड़े बदमाशों ने पुलिस वैन पर गोलियाँ चलाईं और अपने तीन साथियों को लेकर फ़रार हो गए थे।
क्या इनके शवों पर तिरंगा नहीं होना था? pic.twitter.com/01TYtAAliw— Sultan (@sultanfaizabadi) July 18, 2019
सम्भल में कल शहीद हुए पुलिसकर्मियों को पहले एंबुलेंस नसीब नहीं हुई अब शहीदों की अर्थी पर कपड़ा तक नहीं सही ढंग से ओढ़ाया गया है। शहीदों के शव को तिरंगा झंडे के कपड़े से श्रद्धांजलि दी जाती है अपने फर्ज पर कुर्बान होने वाले शहीद पुलिसकर्मियों के शवों के साथ ये बेरुखी आखिर क्यों ?
— Shishank Pratap Sing (@shishanksing) July 18, 2019
किसी नेता की अगवाई में सैकड़ों झंडे लग जाते है अपराधियो की गोली से मरने वाले यूपी पुलिस के जवानों के लिए यूपी में तिरंगा भी नही है बातें बड़ी बड़ी देशभक्ति की होती है हक़ीक़त कुछ और है ।। फिरहाल जय श्री राम,जय हिंद , #salute
@priyankagandhi @RahulGandhi @Uppolice @CMOfficeUP pic.twitter.com/pLXY1srcIn— Rahul Awasthi (@RahulAw85345728) July 18, 2019
कैदियों ने ऐसे दिया वारदात को अंजाम
चश्मदीद सिपाही ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि वह बुधवार को मुरादाबाद जेल में 24 कैदियों को संभल जिले की चंदौसी की अदालत में पेश करने के लिए 6 पुलिसकर्मियों के साथ वैन में गए थे। पेशी कराने के बाद कैदियों को उसी वैन में वापस मुरादाबाद जेल ले जा रहे थे। तभी संभल जिले में देवाखेड़ा गांव के तीन कैदी वैन के भीतर ही सिपाहियों से हाथापाई करने लगे। इसके बाद दूसरे कैदी भी उनका साथ देने लगे।
इस दौरान उन्होंने सिपाहियों के साथ मारपीट कर सरकारी हथियार छीन लिया। विरोध करने पर सिपाही हरेंद्र सिंह और ब्रजपाल सिंह को गोली मार दी। दोनों सिपाहियों ने वैन में ही दम तोड़ दिया। बाकी पुलिस वालों को भी जान से मारने की धमकी देकर तीनों कैदी वैन का ताला तोड़ भाग गए। फरार कैदी पुलिस वालों की सरकारी राइफल भी साथ ले गए।
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब फरार हुए कैदियों और बदमाशों की तलाश में जुट गई है। उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृत सिपाहियों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की घोषणा की है। मृतक के परिवार में से किसी एक व्यक्ति को नौकरी भी दिए जाने का ऐलान किया गया है। (इनपुट- आईएएनएस के साथ)