एक तरफ जहां गाय को लेकर देशभर में कोहराम मचा हुआ है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित झारखंड के राजभवन और मुख्यमंत्री आवास की गायों के लिए चारे के लाले पड़ गए हैं, क्योंकि उनके चारे के लिए कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है। जिसके कारण आपूर्तिकर्ता ने भुगतान न किए जाने के चलते अब चारा देने में असमर्थता जताई है। अधिकारियों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को यह जानकारी दी।
file photoराजभवन और मुख्यमंत्री आवास में दुधारू पशुओं का प्रबंधन गव्य निदेशालय द्वारा किया जाता है, जिन्हें वर्तमान वित्त वर्ष के लिए कोई राशि आवंटन नहीं की गई है। एक अधिकारी ने बताया कि निकाय के अंतर्गत तीन ‘गौशालाएं’ हैं। राज्यपाल के आवास में कामधेनु गौशाला, जिसमें आठ दूध देने वाले पशु हैं, मुख्यमंत्री आवास के गौशाला में चार है, जबकि इसके प्रशिक्षण केंद्र में 50 पशु हैं।
उन्होंने कहा कि इन पशुओं को हर रोज उचित आहार दिए जाने की जरूरत है, उन्होंने यह भी बताया कि राजभवन की एक गाय बीमार हो गई थी और उसे इलाज के लिए प्रशिक्षण केंद्र लाया गया है। डेयरी के निदेशक कृष्ण मुरारी ने कहा कि निदेशालय धनराशि की मंजूरी के लिए प्रयास कर रहा है और उम्मीद है कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भगवा पार्टी की जीत के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से गाय के नाम पर हिंसा की खबरें आती रही हैं। हाल के वर्षों में मुस्लिमों की पीट-पीटकर हत्या (लिंचिंग), खासकर ‘मवेशी’ रक्षा के बहाने हुई लिंचिंग की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले कुछ सालों में ऐसी दर्जनों हत्याएं हुई हैं।
मुस्लिमों पर कथित गोकशी के तुच्छ आरोपों के चलते लिंचिंग की घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि, ‘गोरक्षा’ वह मुख्य बहाना है, जिसकी आड़ में पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिमों को पीट-पीटकर मार देने की कई घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से ज्यादातर हमलों में एक चीज समान थी और वह थी संख्या के मामले में एक पक्ष का पलड़ा असंतुलित ढंग से झुका रहना। तीन या चार लोगों पर सामान्य तौर पर दर्जनों या सैकड़ों की भीड़ हमला करती है।