जम्मू कश्मीर के कठुआ में बंजारा समुदाय की आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में सात में से छह आरोपियों को पंजाब के पठानकोट की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है। हालांकि, मामले में मुख्य आरोपी सांजी राम का बेटा विशाल को कोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया है। यह फैसला सोमवार को पठानकोट में विशेष अदालत ने सुनाया। दोषी करार दिए गए लोगों में ग्राम प्रधान सांजी राम प्रमुख है। उसे इस मामले का मास्टरमाइंड बताया गया था। दोषियों पर दोपहर 2 बजे फैसला सुनाया जाएगा।
कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले में मुख्य आरोपी सांझी राम। File Photo: AFPकठुआ गैंगरेप और हत्या मामले में पीड़ित परिवार के वकील मुबीन फारुकी ने बताया, ‘पठानकोट कोर्ट ने सांझी राम, आनंद दत्ता, प्रवेश कुमार, दीपक खजुरिया, सुरेंद्र वर्मा और तिलक राज को दोषी ठहराया है। एक अन्य आरोपी विशाल पर फैसला आना बाकी है।’
Kathua rape & murder case: "Persons convicted by Pathankot court are Sanji Ram, Anand Dutta, Parvesh Kumar, Deepak Khajuria, Surender Verma and Tilak Raj. Verdict yet to come on Vishal," says Advocate Mubeen Farooqui, representing victim's family. (original tweet will be deleted) pic.twitter.com/Z2fmGydfi9
— ANI (@ANI) June 10, 2019
देश को स्तब्ध कर देने वाले इस मामले में बंद कमरे में सुनवाई तीन जून को पूरी हुई। तब जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने घोषणा की थी कि 10 जून को फैसला सुनाया जा सकता है। अधिकारियों ने रविवार को कहा कि कठुआ में फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर अदालत और उसके आसपास कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। पंद्रह पन्नों के आरोपपत्र के अनुसार पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले के एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई।
मामले में रोजाना आधार पर सुनवाई पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट में जिला और सत्र अदालत में पिछले साल जून के पहले सप्ताह में शुरू हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर भेजने का आदेश दिया था जिसके बाद जम्मू से करीब 100 किलोमीटर और कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पठानकोट की अदालत में मामले को भेजा गया। शीर्ष अदालत का आदेश तब आया जब कठुआ में वकीलों ने अपराध शाखा के अधिकारियों को इस सनसनीखेज मामले में आरोपपत्र दाखिल करने से रोका था। इस मामले में अभियोजन दल में जे के चोपड़ा, एस एस बसरा और हरमिंदर सिंह शामिल थे।
अपराध शाखा ने इस मामले में ग्राम प्रधान सांजी राम, उसके बेटे विशाल, किशोर भतीजे तथा उसके दोस्त आनंद दत्ता को गिरफ्तार किया था। इस मामले में दो विशेष पुलिस अधिकारियों दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया। सांजी राम से कथित तौर पर चार लाख रुपये लेने और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने के मामले में हैड कांस्टेबल तिलक राज एवं एसआई आनंद दत्ता को भी गिरफ्तार किया गया।
जिला और सत्र न्यायाधीश ने आठ आरोपियों में से सात के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय किए हैं। किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय सुनवाई करेगा। अगर आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है तो उन्हें कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है।
नींद की ज्यादा गोलियां देने से कोमा में चली गई थी पीड़िता
पिछले साल जून में इस मामले में फॉरेंसिक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसने सबको हिलाकर रख दिया था। अपराध विज्ञान विशेषज्ञों ने कहा था कि बच्ची की हत्या से पहले उसे जबरन नींद की काफी गोलियां दी गयीं, जिससे कारण वह कोमा में चली गई। समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, इस सामूहिक बलात्कार-सह-हत्याकांड की जांच कर रही जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने उसे उसके अपहर्ताओं द्वारा दी गई मन्नार कैंडी (उसे स्थानीय गांजा समझा जाता है) और एपिट्रिल 0.5 एमजी गोलियों के प्रभाव का परीक्षण करने के लिए इसी महीने के प्रारंभ में उसका विसरा अपराध विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा था।
जिसके बाद अपराध शाखा को मिली मेडिकल राय के तहत डॉक्टरों ने कहा है कि आठ साल की लड़की को दी गई गोलियों से संभवत: वह सदमे की स्थिति में या कोमा में चली गई। अपराध शाखा ने मेडिकल विशेषज्ञों से आठ साल की लड़की को उसके खाली पेट रहने के दौरान दी गई इन दवाइयां के संभावित असर के बारे में पूछा था। अपराध शाखा ने तब विस्तृत मेडिकल राय जाने का फैसला किया जब अदालत में आरोपियों और उनके वकीलों ने तथा सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों ने दावा किया कि यह करीब-करीब असंभव है कि लड़की पर हमला हो रहा हो और वह नहीं चिल्लाई हो।
विसरा का परीक्षण करने के बाद डॉक्टरों ने कहा कि लड़की को जो दवा दी गई थी उसमें क्लोनाजेपाम सॉल्ट था और उसे मरीज के उम्र और वजन को ध्यान में रखकर चिकित्सकीय निगरानी में ही दिया जाता है। चिकित्सकीय राय में कहा गया है, ‘‘उसके (पीड़िता के) 30 किलोग्राम वजन को ध्यान में रखते हुए मरीज को तीन खुराक में बांटकर प्रति दिन 0.1 से 0.2 एमजी दवा देने की सिफारिश की जाती है।’’ उसमें आगे कहा गया है कि ‘उसे 11 जनवरी, 2018 को जबर्दस्ती 0.5 एमजी की क्लोनाजेपाम की पांच गोलियां दी गयीं जो सुरक्षित डोज से ज्यादा थी। बाद में भी उसे और गोलियां दी गईं। ज्यादा डोज के संकेत और लक्षण नींद, भ्रम, समझ में कमी, प्रतिक्रियात्मक गतिविधि में गिरावट, सांस की गति में कमी या रुकावट, कोमा और मृत्यु हो सकते हैं।’’