23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही अपनी चुनावी संभावनाओं को लेकर आशंकित विपक्ष को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर मंगलवार (21 मई) को दोहरा झटका लगा। एक तरफ जहां वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के ईवीएम से 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। वहीं, चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में ईवीएम को लेकर सोशल मीडिया पर आ रही कथित रिपोर्टों पर विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है और वे विश्वास बनाए रखें।

सुप्रीम कोर्ट ने देश में हुए आम चुनावों के लिए 23 मई को होने वाली मतों की गिनती के दौरान वीवीपैट मशीनों की पर्ची का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के आंकड़ों के साथ शत प्रतिशत मिलान करने की मांग वाली जनहित याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अरूण मिश्र की अगुवाई वाली अवकाश पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। यह याचिका चेन्नई के एक गैर सरकारी संगठन ‘टेक फॉर आल’ की ओर से दायर की गई थी।
अवकाश पीठ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली अदालत की वृहद पीठ इस मामले में सुनवाई कर आदेश पारित कर चुकी है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश इस मामले का निस्तारण कर चुके हैं। दो न्यायाधीशों की अवकाश पीठ के समक्ष आप जोखिम क्यों ले रहे हैं।’’ न्यायमूर्ति मिश्र ने कहा, ‘‘हम प्रधान न्यायाधीश के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते हैं… यह बकवास है। यह याचिका खारिज की जाती है।’’
Supreme Court dismisses the petition filed by a group of technocrats seeking a direction that the number of machines subject to verification of VVPATs to be increased to 100%. A vacation bench of the Apex Court did not find any merit in the petition filed by the technocrats. pic.twitter.com/TEVcHf3VbL
— ANI (@ANI) May 21, 2019
इससे पहले सात मई को शीर्ष अदालत ने 21 विपक्षी दलों की ओर से दायर समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में विपक्षी दलों की ओर से दायर याचिका में वीवीपैट पर्चियों के साथ ईवीएम के आंकड़ों का मिलान बढ़ाकर 50 फीसदी किये जाने की मांग की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने आठ अप्रैल को अपने फैसले में निर्वाचन आयोग को मतगणना के दिन प्रत्येक विधानसभा के पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करने का निर्देश दिया था।
ईवीएम हेराफेरी के आरोप बेबुनियाद
सुप्रीम कोर्ट के अलावा चुनाव आयोग ने कई स्थानों पर ईवीएम की हेराफेरी के आरोपों को बेबुनियाद और पूरी तरह गलत बताया है और कहा है कि ईवीएम हर तरह से सुरक्षित हैं। आयोग ने कहा है कि उसने गाजीपुर, डुमरियागंज, झांसी और चंदौली आदि स्थानों पर ईवीएम की हेराफेरी की शिकायतों की जांच की और पाया कि वे स्ट्रांग रूम में पूरी तरह सुरक्षित हैं।
EVMs safe, keep faith: CEO Uttar Pradesh denies allegations of irregularities
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— ANI Digital (@ani_digital) May 21, 2019
वहीं, कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि देश के कई हिस्सों में स्ट्रांगरूम से ईवीएम स्थानांतरित किए जाने की शिकायतों पर चुनाव आयोग को तत्काल प्रभावी कदम उठाना चाहिए। पार्टी के नेता राजीव शुक्ला ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष हो। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “जगह जगह से ईवीएम स्थानांतरित किए जाने की शिकायतें आ रही हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजा.. कई जगहों पर स्ट्रांग रूम से ईवीएम को ले जाने की शिकायतें आ रही हैं। लोगों का संदेह बढ़ रहा है।”
शुक्ला ने कहा, “चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव निष्पक्ष हों। आयोग को तत्काल प्रभावी कदम उठाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि आज विपक्षी दलों के नेता चुनाव आयोग से मिलेंगे और यह मामला उठाएंगे। एग्जिट पोल के सवाल पर शुक्ला ने कहा कि यह मनोरंजन की तरह है और इसे पार्टी गंभीरता से नहीं ले रही। “ये असल नतीजे नहीं हैं।”
सिसोदिया का बड़ा आरोप
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ईवीएम को लेकर सोशल मीडिया पर आ रही कथित रिपोर्टों पर चुनाव आयोग और मीडिया के खिलाफ मंगलवार को बड़ा बयान दिया। सिसोदिया ने ट्विटर पर लिखा, “झांसी, मेरठ, गाजीपुर, चंदौली और सारण हर जगह मतगणना केंद्रों पर मशीनें बदली जा रही हैं लेकिन चुनाव आयोग और तथाकथित मीडिया मोदी के सामने नतमस्तक आंखों पर पट्टी बांधे घुटनों के बल बैठा है। जनता ने मोदी के खिलाफ वोट दिया है उसे मीडिया और चुनाव आयोग मिलकर बदल रहे हैं।”
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “फगवाड़ा में प्राइवेट कार में ईवीएम पहुंची मतगणना केंद्र… चुनाव के दो दिन बाद चुनाव आयोग और मीडिया आज चुप है। इन मशीनों से मोदी चुनाव जीतेंगे और फिर हर बार की तरह खुद को पत्रकार कहने वाले लोग कहेंगे… हारे हुए लोग इवीएम का बहाना ले रहे हैं।’