उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहें समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रत्याशी और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन पत्र चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया है। निर्वाचन अधिकारी ने बुधवार को तेज बहादुर का नामांकन रद्द कर दिया। नामांकन रद्द होने के बाद तेज बहादुर यादव ने कहा कि नामांकन को गलत तरीके से रद्द कर दिया गया है, हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

नामांकन रद्द होने पर तेज बहादुर यादव ने मीडिया से कहा, ‘मेरा नामांकन गलत तरीके से रद्द किया गया है। मुझे मंगलवार शाम 6:15 बजे तक सबूत देने के लिए कहा गया था, मैंने सबूत दिए भी। इसके बावजूद मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।’
तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द होने पर सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा, “इतिहास में ऐसे कम मौक़े होंगे जब उस देश का जवान अपने PM को चुनौती देने को मजबूर हो। पर इतिहास में ये पहला मौक़ा है कि एक PM एक जवान से इस क़द्र डर जाए कि उसका मुक़ाबला करने की बजाए तकनीकी ग़लतियाँ निकाल कर नामांकन रद्द करा दे। मोदी जी, आप तो बहुत कमज़ोर निकले। देश का जवान जीत गया।”
बता दें कि नामांकन पत्रों की जांच के बाद तेज बहादुर यादव द्वारा दाखिल दो नामांकन पत्रों में बीएसएफ से बर्खास्तगी की दो अलग-अलग जानकारी सामने आई थी। इसके बाद उन्हें 24 घंटे के अंदर बीएसएफ से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेकर जवाब देने को कहा गया था। तेज बहादुर से नोटिस में कहा गया था कि वह बीएसएफ से एनओसी लेकर आएं, जिसमें यह साफ किया गया हो कि उन्हें किस वजह से नौकरी से बर्खास्त किया गया था।
गौरतलब है कि तेज बहादुर यादव ने 24 अप्रैल को पहले निर्दलीय और 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नामांकन किया था। बता दें कि, इससे पहले एसपी ने शालिनी यादव को अपना कैंडिडेट घोषित किया था। लेकिन 29 अप्रैल को एसपी ने अपना कैंडिडेट बदलकर तेज बहादुर के नाम का ऐलान किया था।
बता दें कि, 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी(आप) के चीफ अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के अजय राय लड़े थे। अजय राय इस चुनाव में तीन नंबर पर रहे थे। जबकि दूसरे नंबर पर अरविंद केजरीवाल रहे थे।
बता दें कि बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने जनवरी 2017 में खाने को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो डाला था। इस पर काफी विवाद हुआ था और पीएमओ ने मामले का संज्ञान लिया था। इसके बाद अप्रैल माह में बीएसएफ ने उनको अनुशासन हीनता का दोषी मानते हुए बर्खास्त कर दिया था। तभी से वह केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं।