विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार (25 अप्रैल) को कहा कि तीन अफ्रीकी देशों में करीब 360,000 बच्चों को बड़े पैमाने पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत दुनिया का पहला मलेरिया वैक्सीन मिलेगा। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अफ्रीकी देश मलावी में 2 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण शुरू कर दिया गया है, केन्या और घाना में आने वाले हफ्तों में इस टीकाकरण का इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएंगा। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यह वैक्सीन बच्चों को मलेरिया से बचाने के लिए शुरु किए गए।
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर टेड्रो अदनोम घेब्रेयियस ने कहा, ‘हमने पिछले 15 सालों में मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय निकाले लेकिन कुछ नहीं हुआ। हमें मलेरिया की प्रतिक्रिया को ट्रैक पर लाने के लिए नए समाधानों की आवश्यकता है और यह नया टीका हमें वहां पहुंचने के लिए एक आशाजनक उपकरण देता है। मलेरिया वैक्सीन में हजारों बच्चों के जीवन को बचाने की क्षमता है।’
बता दें कि इस वैक्सीन को बनाने में 30 साल लगे हैं। मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलने वाला एक परजीवी रोग है। पिछले साल दुनियाभर में 4.35 लाख लोगों की मलेरिया के कारण मौतें हुईं। हालांकि, 2016 में मरने वालों का आंकड़ा 4.51 लाख था।
पांच साल से कम उम्र के बच्चे मलेरिया के सबसे आसान शिकार होते हैं और इस बीमारी की चपेट में आने के बाद उनकी मौत की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अफ्रीका में हर साल करीब 2.5 लाख बच्चे इस खतरनाक बीमारी से मौत के मुंह में चले जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2000 से 2015 तक मलेरिया से होने वाली मौतों में 62% की कमी आई और मामलों की संख्या में 41% की कमी आई। हालांकि हाल के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में 217 मिलियन और 2017 में करीब 21 करोड़ मलेरिया के मामले सामने आए थे।
पिछले साल दुनियाभर में 4.35 लाख लोगों की मलेरिया के कारण मौतें हुईं। हालांकि 2016 में मरने वालों का आंकड़ा 4.51 लाख था। मलेरिया से होने वाली मौतों में दक्षिण-पूर्व एशिया में 54%, अफ्रीका में 40% और पूर्वी भूमध्यसागरीय इलाकों में 10% की कमी आई है।