भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि उनके लायक यदि कोई अवसर आता है तो वह भारत लौटने को तैयार हैं। राजन ने यह बात उन अटकलों के बीच कही है कि केंद्र में आम चुनावों के बाद अगर विपक्षी गठबंधन की सरकार बनती है तो वह अगले वित्त मंत्री हो सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व अर्थशास्त्री राजन ने कहा कि वह जहां हैं, ‘बहुत खुश हैं।’ लेकिन नए अवसरों के लिए तैयार हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे राजन को बीजेपी नीत राजग सरकार ने रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर दूसरा कार्यकाल नहीं दिया। उन्होंने अपनी नई किताब ‘द थर्ड पिलर’ का मंगलवार शाम विमोचन करने के मौके पर कहा, ‘‘मैं जहां हूं, बहुत खुश हूं। लेकिन अगर मेरे लायक कोई अवसर आता है तो मैं हमेशा वहां रहना चाहूंगा।’’
फिलहाल शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में अध्यापन का काम कर रहे राजन से यह पूछा गया था कि क्या वह सार्वजनिक सेवा या राजनीतिक भूमिका में भारत लौटना चाहेंगे। राजनीतिक गलियारों में ऐसी अटकले हैं कि अगर आम चुनावों में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा और तेदेपा जैसे विपक्षी दलों का महागठबंधन जीतता है और सत्ता में आता है तो वह वित्त मंत्री हो सकते हैं।
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि रघुराम राजन शीर्ष अर्थशास्त्रियों में से एक है और उनकी पार्टी ने न्यूनतम आय योजना तैयार करते समय उनकी सलाह ली है। इस योजना के तहत कांग्रेस के सत्ता में आने पर देश के सर्वाधिक गरीब 5 करोड़ परिवार को सालाना 72,000 रुपये तक दिए जाएंगे।
बता दें कि 25 मार्च को राहुल गांधी ने बड़े चुनावी वादे का ऐलान करते हुए ‘न्यूनतम आय योजना’ (न्याय) के तहत प्रत्येक भारतीय की 12,000 रुपए प्रति माह आय सुनिश्चित करने और पांच करोड़ गरीब परिवारों को प्रति वर्ष 72,000 रुपये देने की घोषणा की। कांग्रेस ने इस योजना को NYAY (न्यूनतम आय योजना यानी न्याय) नाम दिया है। राहुल गांधी की न्यूनतम आय योजना के ऐलान पर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कहा कि लोगों को सीधे पैसा देना अक्सर उन्हें सशक्त बनाने का एक तरीका है।
सीएनबीसी टीवी 18 को दिए एक इंटरव्यू में राजन ने कहा कि अभी इस बारे में चर्चा करना जल्दबाजी है कि उनसे सत्ता में आने वाला कोई भी दल सरकार में महत्वपूर्ण पद लेने के लिये संपर्क करता है तो वे क्या करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘इस पर चर्चा करना जल्दबाजी है। मुझे वास्तव में लगता है कि यह भारत के लिए महत्वपूर्ण चुनाव है और हमें नए सुधारों की जरूरत है। मुझे उन विचारों को आगे बढ़ाने में खुशी होगी…।’’ (इनपुट- पीटीआई के साथ)