राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में महागठबंधन द्वारा कांग्रेस के खिलाफ दो सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारने के फैसले के जवाब में कांग्रेस ने भी रविवार (17 मार्च) को ऐलान किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में वह सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के लिए सात सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी। कांग्रेस ने दो सीटें अपना दल के लिए छोडने की घोषणा भी की है। हालांकि, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती के सख्त रुख को देखते हुए भले ही कांग्रेस ने सात सीट छोड़ दी है, लेकिन बीएसपी मुखिया को यह नागवार लग रहा है।
file photoबीएसपी चीफ मायावती ने कांग्रेस की ‘दरियादिली’ को कोई भाव नहीं दिया है और उन्होंने देश की मुख्य विपक्षी पार्टी को झटका देते हुए साफ कहा कि कांग्रेस यूपी में सात सीटें छोड़कर हमारे साथ गठबंधन का भ्रम न फैलाए और वह राज्य की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने को स्वतंत्र है। उन्होंने साफ कह दिया है कि भारतीय जनता पार्टी को परास्त करने के लिए सपा-बसपा का गठबंधन काफी है, ऐसे में कांग्रेस जबरदस्ती सीट छोड़ने का भ्रम न फैलाए।
बीएसपी अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा, “बीएसपी एक बार फिर साफ तौर पर स्पष्ट कर देना चाहती है कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में कांग्रेस पार्टी से हमारा कोई भी किसी भी प्रकार का तालमेल व गठबंधन आदि बिल्कुल भी नहीं है। हमारे लोग कांग्रेस पार्टी द्वारा आयेदिन फैलाये जा रहे किस्म-किस्म के भ्रम में कतई ना आयें।”
अपने अगले ट्वीट में उन्होंने कहा, “कांग्रेस यूपी में भी पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह यहाँ की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके अकेले चुनाव लड़े आर्थात हमारा यहाँ बना गठबंधन अकेले बीजेपी को पराजित करने में पूरी तरह से सक्षम है। कांग्रेस जबर्दस्ती यूपी में गठबंधन हेतु 7 सीटें छोड़ने की भ्रान्ति ना फैलाये।”
कांग्रेस यूपी में भी पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह यहाँ की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके अकेले चुनाव लड़े आर्थात हमारा यहाँ बना गठबंधन अकेले बीजेपी को पराजित करने में पूरी तरह से सक्षम है। कांग्रेस जबर्दस्ती यूपी में गठबंधन हेतु 7 सीटें छोड़ने की भ्रान्ति ना फैलाये।
— Mayawati (@Mayawati) March 18, 2019
बता दें कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज बब्बर ने रविवार को लखनऊ में बताया कि सपा-बसपा-रालोद के लिए सात सीटें हम छोड रहे हैं। इनमें मैनपुरी, कन्नौज और फिरोजाबाद शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी उन सीटों पर किसी प्रत्याशी को नहीं उतारेगी, जिन पर बसपा सुप्रीमो मायावती, रालोद प्रमुख अजित सिंह और उनके बेटे जयंत के चुनाव लड़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि गठबंधन ने रायबरेली और अमेठी सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं। उसी क्रम में हम गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़ रहे हैं।
बब्बर ने बताया कि कांग्रेस ने गोण्डा और पीलीभीत सीटें अपना दल को देना तय किया है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने जन अधिकार पार्टी के साथ चुनावी समझौता किया है। पांच सीटों पर जन अधिकारी पार्टी के प्रत्याशी होंगे, जबकि दो सीटों पर जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ेंगे। जन अधिकार पार्टी के संस्थापक बाबू सिंह कुशवाहा हैं। बसपा सरकार के समय वह मंत्री थे और मायावती के करीबी माने जाते थे।