ऋषि कुमार शुक्ला को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का निदेशक नियुक्त किए जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार (2 फरवरी) को जांच एजेंसी के प्रमुख के चयन में पहले से तय मापदंडों को पालन नहीं किए जाने का आरोप लगाया और दावा किया कि ऐसा करना ‘दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापना’ (डीएसपीई) कानून तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। बता दें कि खड़गे भी इस समिति के सदस्य हैं।
खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगुवाई वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की एक फरवरी की बैठक के संदर्भ में अपने असहमति पत्र में कहा है कि समिति ने सहमति जताई थी कि पैनल में नामों के शामिल करने के लिए वरिष्ठता क्रम, एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) और भ्रष्टाचार विरोधी जांच का कम से कम 100 महीने के अनुभव तीन प्रमुख आधार बनाए गए थे, लेकिन इनका पालन नहीं हुआ। उन्होंने अपना असहमति पत्र शनिवार दोपहर प्रधानमंत्री के पास भेजा है।
कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार मध्य प्रदेश पुलिस के पूर्व प्रमुख ऋषि कुमार शुक्ला को दो साल के तय कार्यकाल के लिये शनिवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का निदेशक नियुक्त किया गया। मध्य प्रदेश काडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी शुक्ला फिलहाल भोपाल में मध्य प्रदेश पुलिस आवास निगम के अध्यक्ष हैं। वह आलोक वर्मा का स्थान लेंगे, जिन्हें 10 जनवरी को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया गया था।
सोशल मीडिया पर लोगों ने ऐसे लिए मजे
ऋषि कुमार शुक्ला को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का निदेशक नियुक्त किए जाने के बाद से ही वह सोशल मीडिया पर चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ऋषि कुमार की नियुक्ति पर सवाल उठा रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग उनके समर्थन में भी हैं। वहीं, कुछ ऐसे यूजर्स हैं जो जमकर मजे ले रहे हैं। पत्रकार उमाशंकर सिंह तंज कसते हुए ट्वीट कर लिखा है, ‘अब व्यापम की सीबीआई जाँच करा लो। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।’
देखिए, लोगों की प्रतिक्रियाएं:-
अब व्यापम की सीबीआई जाँच करा लो। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। ?
— Umashankar Singh (@umashankarsingh) February 2, 2019
पिछले दिनों ये एमपी के डीजीपी थे तो सीएम के एक करीबी को दिल्ली पुलिस भोपाल से उठा ले गई थी। इनकी पुलिस को कोई भनक भी नहीं लगी।
जबकि दूसरे राज्य में कार्रवाई से पहले सूचना देना जरूरी है— Mukesh Kejariwal (@Mukesh_k) February 2, 2019
मध्यप्रदेश के इंदौर, मंदसौर और रतलाम में एक के बाद एक हत्याकांड ? हो रहे थे।
ऋषि कुमार शुक्ला के नेतृत्व वाली पुलिस ? से नाराजगी बढ़ रही थी।
— Mukesh Kejariwal (@Mukesh_k) February 2, 2019
जिस डीजीपी को कमलनाथ सरकार ने हटाया, उसको मोदी ने सीबीआई डाइरेक्टर बनाया,अब व्यापम की सीबीआई जाँच कराओ फिर देखो दूध पानी पानी न हो जाये तो कहना।
— Manoj S Guatam (@manojsguatam) February 2, 2019
यदि ऋषि कुमार शुक्ला जी की स्थान पर एसटीएफ के पूर्व मुखिया श्री सुधीर कुमार शाही जी को सीबीआई का निदेशक नियुक्त किया जाता तो निश्चित ही #व्यापम के चौंकाने वाले राज सभी के सामने आ सकते थे इस पर आप क्या कहते हैं @ChouhanShivraj @digvijaya_28 @JVSinghINC https://t.co/TBgavQglmj
— Ashish Kumar Chaturvedi (@ashish2612) February 2, 2019
4 दिन पहले ही कमलनाथ सरकार ने डीजीपी पद से ऋषि कुमार शुक्ला को हटाया था मोदी ने तुरंत उनको सीबीआई चीफ बना दिया ।#MadhyaPradesh
— Rehana (@rehana_indian) February 2, 2019
4 दिन पहले ही कमलनाथ सरकार ने डीजीपी पद से ऋषि कुमार शुक्ला को हटाया था..
उन्होंने DGP पद से हटाया…मोदी जी ने #CBI डायरेक्टर बनाया…??
अब पता नहीं कब 1984 के सिखों के नरसंहार में कमलनाथ की भूमिका खोज निकालें..??#CBI #RishiKumarShukla
— Sunita Gupta ?? (@Sunitagupta__) February 2, 2019
मंडन मिश्र का तोता भी संस्कृत के श्लोक सुनाता था। अब आधुनिक तोते की कमान एक ऋषि को दे दी गई है। देखना होगा कि पिंजरे में बंद तोते के संस्कार में क्या परिवर्तन आता है।
ख़बर: 1983 मप्र बैच के आईपीएस ऋषि कुमार शुक्ला सीबीआई के नए निदेशक बनाए गए
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) February 2, 2019
बता दें कि शुक्ला का हाल में मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक पद से पुलिस आवास निगम में तबादला हुआ था। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली चयन समिति की 24 जनवरी और एक फरवरी को हुई दो बैठकों के बाद उनकी नियुक्ति हुई है। शुक्रवार को चयन समिति की दूसरी बैठक के दौरान शुक्ला का नाम छांटा गया था। इस घटनाक्रम को अहम माना जा रहा है क्योंकि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अंतरिम सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को लेकर ‘अनिच्छुक’ है और केन्द्र को ‘तत्काल’ केन्द्रीय जांच ब्यूरो के नियमित निदेशक की नियुक्ति करनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई निदेशक का पद ‘‘संवेदनशील’’ और ‘‘महत्वपूर्ण’’ है और लंबे समय तक एजेंसी के अंतरिम निदेशक की नियुक्ति ठीक नहीं है। अदालत ने जानना चाहा कि सरकार ने अब तक इस पद पर नियुक्ति क्यों नहीं की है। आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद से सीबीआई प्रमुख का पद 10 जनवरी से ही खाली है। भ्रष्टाचार के आरोपों पर गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना के साथ वर्मा का टकराव हुआ था। वर्मा और अस्थाना दोनों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
वर्मा को हटाए जाने के बाद से एम नागेश्वर राव सीबीआई के अंतरिम प्रमुख के तौर पर कार्यरत हैं। शुक्रवार की बैठक प्रधानमंत्री के आवास पर हुई। यह बैठक एक घंटा से अधिक समय तक चली। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बैठक में शामिल हुए। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली समिति द्वारा सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के बाद वर्मा को महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा और गृह रक्षा बनाया गया था। हालांकि, वर्मा ने इस पद को स्वीकार नहीं किया।