केंद्र में एनडीए की सहयोगी और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार में साथ देने वाली शिवसेना ने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी से हाथ मिलाने के बाद बीजेपी को छात्र नेता कन्हैया कुमार की आलोचना करने का नैतिक अधिकार नहीं है। शिवसेना ने सत्तारूढ़ बीजेपी को नसीहत भी दी कि उसे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ राजद्रोह मामले का राजनीतिक लाभ नहीं उठाना चाहिए।
पार्टी ने कहा कि बीजेपी ने पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती से हाथ मिलाकर ‘‘पाप’’ किया। उसने कहा कि महबूबा मुफ्ती संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को शहीद मानती हैं। बता दें कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पीडीपी सरकार का हिस्सा थी लेकिन उसने पिछले साल स्वयं को गठबंधन से अलग कर लिया।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार एवं अन्य के खिलाफ अदालत में सोमवार को आरोप पत्र दायर किया था और कहा था कि फरवरी 2016 में जेएनयू परिसर में वह एक रैली का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने राजद्रोह के नारों का समर्थन किया था।
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘ बीजेपी ने अफजल गुरू को स्वतंत्रता सेनानी और शहीद मानने वालीं महबूबा मुफ्ती से हाथ मिलाकर सबसे बड़ा पाप किया। अब बीजेपी को अपने फायदे के लिए कन्हैया के खिलाफ दर्ज राजद्रोह मामले से राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहिए और न ही ऐसी कोशिश करनी चाहिए।’
पार्टी ने कहा कि 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमलों के दोषी अजमल कसाब जैसे आतंकवादी को भी अदालत ने अपना बचाव करने का अवसर दिया। उसने कहा कि कुमार को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। उसने कहा कि यदि उसके खिलाफ लगे आरोप सही नहीं हैं, तो वे अदालत में टिक नहीं पाएंगे।
पार्टी ने कहा, ‘कन्हैया कुमार अच्छे वक्ता हैं। वह बागी और बेरोजगार युवाओं का प्रतिनिधित्व करते है, तब भी वह अफजल गुरू की प्रशंसा करते हुए या कश्मीर की आजादी के नारे नहीं लगा सकते। वैसे भी, बीजेपी को कन्हैया कुमार की निंदा करने का क्या नैतिक अधिकार है?’
शिवसेना ने कटाक्ष किया, ‘महाराष्ट्र बीजेपी के मंत्री गिरीश महाजन ने हाल में दावा किया कि उन्हें जहां भी भेजा जाएगा, वह अपना ‘जादू’ दिखाएंगे और चुनाव में अपनी पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगे। हम बीजेपी से अनुरोध करते हैं कि वह जेएनयू में राष्ट्र विरोधियों को हराने के लिए उन्हें वहां भेजे, लेकिन उन्हें बता दे कि जेएनयू में चुनाव ईवीएम के माध्यम से नहीं होते हैं।’
वहीं, दूसरी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने देशद्रोह से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को खत्म करने की पैरवी करते हुए बुधवार को कहा कि वर्तमन में इस औपनिवेशिक कानून की जरूरत नहीं है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में दो साल पहले हुई कथित नारेबाजी के मामले में दिल्ली पुलिस ने हाल ही में कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है जिसमें धारा 124ए भी लगाई गयी है।
कपिल सिब्बल ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘देशद्रोह के कानून (आईपीसी की धारा 124ए) को खत्म किया जाए। यह औपनिवेशिक है।’ उन्होंने कहा, ‘असली देशद्रोह तब होता है जब सत्ता में बैठे लोग संस्थाओं के साथ छेड़छाड़ करते हैं, कानून का दुरुपयोग करते हैं, हिंसा भड़काकर शांति एवं सुरक्षा की स्थिति खराब करते हैं।’ सिब्बल ने कहा, ‘इन लोगों को 2019 (लोकसभा चुनाव) में दंडित करिये। सरकार बदलो, देश बचाओ।’
Scrap sedition law (section 124A,IPC) , a colonial hangover
Real sedition is when those in power manipulate institutions , misuse the law , breach peace and security by inciting violence
Punish them in 2019
Sarkar badlo Desh bachao
— Kapil Sibal (@KapilSibal) January 16, 2019