CBI Vs CBI मामला: मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजेने का आदेश निरस्त

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सुप्रीम कोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक कुमार वर्मा को बड़ी राहत देते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आलोक कुमार वर्मा को सीबीआई निदेशक पद पर मंगलवार (8 जनवरी) को बहाल करते हुए उनके अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के फैसले को रद्द कर दिया।

शीर्ष अदालत ने वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच पूरी होने तक उन्हें (वर्मा को) कोई भी बड़ा निर्णय लेने से रोक दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्मा के खिलाफ आगे कोई भी निर्णय सीबीआई निदेशक का चयन एवं नियुक्ति करने वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिया जाएगा।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने आलोक वर्मा तथा गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ आदि की याचिकाओं पर सुनवाई की थी। इस प्रकरण में हालांकि प्रधान न्यायाधीश ने फैसला लिखा परंतु वह आज न्यायालय में उपस्थित नहीं थे। अत: यह फैसला न्यायमूर्ति कौल और न्यायमूर्ति जोसेफ ने सुनाया।

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति केन्द्रीय सतर्कता आयोग की जांच के नतीजों के आधार पर निर्णय लेगी। उसने कहा कि एक हफ्ते के भीतर समिति की बैठक बुलाई जाए। पीठ ने इसके साथ ही वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम प्रमुख के तौर पर नियुक्ति रद्द कर दी।

न्यायालय ने सीबीआई प्रमुख के तौर पर वर्मा के अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के 23 अक्टूबर के फैसले को रद्द कर दिया। केन्द्र ने वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद उनके झगड़े के सार्वजनिक होने पर यह निर्णय लिया था। आलोक कुमार वर्मा का केन्द्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक के रूप में दो वर्ष का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है।

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