AJL जमीन आवंटन मामला: CBI ने पूर्व CM भूपेंदर सिंह हुड्डा और मोतीलाल वोरा के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पंचकूला में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को जमीन आवंटन के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ शनिवार (1 दिसंबर) को आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर किया। एजेएल पर कथित तौर पर कांग्रेस के नेताओं का नियंत्रण है। केंद्रीय एजेंसी ने एक विशेष अदालत में आरोपपत्र दायर किया। हुड्डा के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री पर एजेएल को उसके अखबार नेशनल हेराल्ड के लिए पंचकूला में नियमों के खिलाफ जमीन आवंटित करने का आरोप है।

आपको बता दें कि एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें गांधी परिवार भी शामिल है। एजेएल समूह नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र का प्रकाशन भी करता है। समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक एजेंसी का आरोप है कि सी-17 नाम के जमीन के टुकड़े को दोबारा आवंटित करने की वजह से राजकोष को 67 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने पंचकूला की विशेष अदालत में हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन अध्यक्ष वोरा एवं एजेएल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 एवं 120(बी) तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(एक)(डी) और 13(दो) के तहत आरोप पत्र दायर किया।

एजेंसी ने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री हुड्डा (जो कि उस समय हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हूडा) के अध्यक्ष भी थे) और एजेएल के अध्यक्ष वोरा और कंपनी पर भारतीय दंड संहिता की आपराधिक षडयंत्र से संबंधित धाराओं और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं।

ऐसे खेला गया जमीन का खेल

यूनिवार्ता के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री ने 28 अगस्त 2005 को पद का कथित तौर पर दुरुपयोग करते हुए एजेएल को पंचकूला के औद्योगिक क्षेत्र में जमीन का आवंटन बहाल किया था। यह जमीन एजेएल को 30 अगस्त 1982 को सशर्त आवंटित की गई थी। शर्त यह थी कि कंपनी छह महीने में जमीन पर निर्माण कार्य करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, तब 30 अक्टूबर 1992 को पंचकूला के संपदा अधिकारी ने जमीन वापस ले ली थी।

इतना ही नहीं, 10 फीसदी राशि काटकर शेष राशि 10 नवंबर 1995 को लौटा दी गई थी। इसका एजेएल ने विरोध किया था और राजस्व विभाग के पास अपील की थी, लेकिन वहां से एजेएल को राहत नहीं मिली थी। बाद में 2005 में हुड्डा ने एजेएल को यह जमीन दोबारा आवंटित कर दी थी।

आरोपपत्र में एजेंसी ने कहा है कि एजेएल को 1982 में पंचकूला में जमीन का एक टुकड़ा आवंटित किया गया था जिस पर 1992 तक कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ। हूडा ने इसके बाद उस जमीन के टुकड़े को वापस अपने कब्जे में ले लिया। आरोपपत्र में कहा गया है कि दोबारा यही जमीन एजेएल को 2005 में उसी दर पर फिर दे दी गई। यह हूडा के अध्यक्ष हुड्डा द्वारा किया गया मानदंडों का उल्लंघन था।

 

 

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