कृषि मंत्रालय ने माना- नोटबंदी से किसानों पर बहुत बुरा पड़ा प्रभाव, राहुल गांधी बोले- ‘मोदी जी आज भी किसानों की दुर्भाग्य का उड़ाते हैं मजाक’

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देश में नोटबंदी लागू किए जाने की इस महीने 8 नवंबर को दूसरी सालगिरह थी। 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर करने की घोषणा की थी। उस वक्त बाजार में चल रही कुल करेंसी का 86 प्रतिशत हिस्सा यही नोट थे। जानकारों ने तभी नोटबंदी के फैसले के कारण अर्थव्यवस्था की हालत बुरी होने, बेरोजगारी बढ़ने और सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी कम होने की आशंका जताई थी और नोटबंदी के बाद जितने भी रिपोर्ट आए उसमें यह साबित भी हुआ।

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों के उलट उनके ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों पर नोटबंदी के बुरे असर की बात स्वीकार की है। मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट वित्तीय मामलों की स्थाई संसदीय समिति को सौंपी है। संसदीय समिति को भेजे अपने जवाब में कृषि मंत्रालय ने ये स्वीकार किया है कि नोटबंदी की वजह से किसानों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा था। आपको बता दें कि पीएम मोदी सहित उनकी सरकार में मौजूद सभी मंत्री नोटबंदी के फैसले की तारीफ करते रहते हैं।

अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक कृषि मंत्रालय ने वित्त पर संसदीय स्थाई समिति को सौपे अपने रिपोर्ट में कहा कि नोटबंदी की वजह से भारत के लाखों किसान ठंड की फसलों के लिए खाद और बीज नहीं खरीद पाए थे। वित्त पर संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली को कृषि मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा नोटबंदी के प्रभावों के बारे में जानकारी दी गई।

मंत्रालय की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी का ऐलान ऐसे वक्त किया गया जब किसान या तो खरीफ की फसल काट रहे थे या रबी की फसल लगा रहे थे। इन दोनों में ही नकदी की जरूरत थी, लेकिन नोटबंदी की वजह से किसानों के पास बीज और खाद के लिए पर्याप्त नकदी नहीं थी। नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन भी इस वजह से करीब 1.38 लाख क्विंटल गेहूं बीज की बिक्री नहीं कर पाया था। ये स्थिति तब भी नहीं सुधर पाई जब सरकार ने कहा था कि 500 और 1000 के पुराने नोट गेंहू के बीज बेचने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

इस रिपोर्ट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निधाना साधा है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा है, “नोटबंदी ने करोड़ों किसानों का जीवन नष्ट कर दिया हैं। अब उनके पास बीज-खाद खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं है। लेकिन आज भी मोदी जी हमारे किसानों की दुर्भाग्य का मज़ाक़ उड़ाते हैं। अब उनका कृषि मंत्रालय भी कहता है, नोटबंदी से टूटी किसानों की कमर!”

मंत्रालय ने आगे कहा है कि भारत के 26.3 करोड़ किसान ज्यादातर कैश अर्थव्यवस्था पर आधारित हैं। इसकी वजह से रबी फसलों के लिए लाखों किसान बीज और खाद नहीं खरीद पाए थे। यहां तक कि बड़े जमींदारों को भी किसानों को मजदूरी देने और खेती के लिए चीजें खरीदने में समस्याओं का सामना करना पड़ा था।’ कृषि मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया कि छोटे स्तर पर खेती करने वालों के अतिरिक्त बड़े किसानों को भी खेती के कामों का मेहनताना देने में दिक्कतें आई क्योंकि नोटबंदी से नगदी की समस्या पैदा हो गयी थी।

 

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