भारत में ‘‘मी टू’’ आंदोलन के जोर पकड़ने के बीच केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पिछले दिनों कहा था कि रिटायर्ड जज के नेतृत्व के एक कमिटी का गठन किया जाएगा, जो मीटु अभियान के तहत आने वाले मामलों की जांच करेगी। उन्होंने कहा था मी टू अभियान के तहत सामने आए मामलों की पड़ताल के लिए उनका मंत्रालय जल्द ही एक कमेटी गठित करेगा। इसमें वरिष्ठ न्यायिक और कानूनी अधिकारी सदस्य होंगे।
File Photo Credit: PTIलेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के प्रस्ताव को खारिज करते हुए जजों से जांच की बात ठुकरा दी है। सरकार यौन उत्पीड़न पर कानून में कमियों पर गौर करने के लिए एक मंत्री समूह (जीओएम) गठित करने पर विचार कर रही है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मंत्री समूह को ‘‘जल्द’’ ही अधिसूचित किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि पहले ऐसे संकेत थे कि समूह की अध्यक्षता एक वरिष्ठ महिला कैबिनेट मंत्री कर सकती हैं लेकिन अब गृह मंत्री राजनाथ सिंह इसकी अध्यक्षता कर सकते हैं। यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निपटारे के लिए कानूनी एवं संस्थागत ढांचे पर विचार करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी द्वारा एक कानूनी समिति गठित करने का प्रस्ताव करने और उन्हें मजबूत करने के लिए मंत्रालय को सलाह देने के सिलसिले में कदम उठाए जाने के कुछ दिनों बाद यह प्रस्ताव आया है।
अभिनेता नाना पाटेकर पर एक फिल्म की शूटिंग के दौरान 2008 में अपने साथ दुर्व्यवहार करने का अदाकारा तनुश्री दत्ता द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद देश में शुरू हुआ ‘‘मी टू’’ अभियान तेजी से आगे बढ़ा है। कई महिलाओं ने सामने आ कर विभिन्न शख्सियतों के खिलाफ अपनी शिकायत व्यक्त की है। यौन दुर्व्यवहार के आरोपियों में पूर्व विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर, फिल्म निर्देशक सुभाष घई, साजिद खान, रजत कपूर और अभिनेता आलोक नाथ आदि शामिल हैं।अकबर ने अपने खिलाफ लगे इन आरोपों को लेकर बुधवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।