अमेरिकी की तरफ से वित्तीय प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद भारत ने शुक्रवार (5 अक्टूबर) को 5 अरब डॉलर के पांच अत्याधुनिक एस-400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली को रूस से खरीदने के सौदे पर दस्तखत किए। इस समझौते पर प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मौजूदगी में हस्ताक्षर किये गए। इसके साथ ही भारत और रूस के बीच अंतरिक्ष, रेलवे और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कुल आठ समझौतों पर मुहर लगी है।
@PIB_Indiaइस सौदे पर ऐसे समय में हस्ताक्षर किये गए हैं जब अमेरिका की ओर से रूस से हथियार खरीद पर ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट’ (सीएसएसटीएसए) के तहत प्रतिबंध लग सकता है। अमेरिका ने अपने सहयोगियों से रूस के साथ लेनदेन नहीं करने का आग्रह किया है और चेताया है कि एस..400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली जिसे भारत खरीदना चाहता है, वह मुख्य विषय होगा जिस पर दंडात्मक प्रतिबंध को अमल में लाया जा सकता है।
हालांकि अमेरिकी सांसदों ने इंगित किया है कि इस पर राष्ट्रपति की ओर से छूट मिलने की संभावना है। समाचार एजेंसी वार्ता के मुताबिक, भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह किए बिना शुक्रवार को रूस से लगभग 400 किलोमीटर तक हवा से हवा में मार करने वाली अत्याधुनिक हवाई रक्षा प्रणाली एस-400 मिसाइल की खरीद के सौदे पर हस्ताक्षर कर दिए।
भारत की यात्रा पर आये रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच शुक्रवार को हुई शिष्टमंडल स्तर की बैठक में इस सौदे पर हस्ताक्षर किए गए। भारत 5.43 अरब डालर यानी लगभग 40 हजार करोड रूपये में हवा से हवा में मार करने वाली इन असाधारण मिसाइलों के पांच स्क्वैड्रन खरीदेगा। मिसाइलों की आपूर्ति हस्ताक्षर होने के दो वर्ष के भीतर यानी 2020 तक शुरू हो जाएगी।
यह सौदा अमेरिका की उस चेतावनी के बावजूद किया गया है जिसमें रूस से हथियार खरीदने पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। भारत ने रक्षा और विदेश मंत्री के स्तर पर अमेरिका से पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस से एस-400 मिसाइल के सौदे पर पीछे नहीं हटेगा। उसने कहा है कि रूस के साथ उसके दशकों पुराने रक्षा संबंध हैं और उससे लंबे समय से रक्षा उत्पाद खरीद रहा है तथा एस-400 मिसाइल सौदे पर भी लंबे समय से बात चल रही थी।
अमेरिका ने कहा था कि वह भारत पर ‘काट्सा’ यानी ‘काउंटरिंग अमेरिका एडवसरिज थ्रू सेंक्शंस एक्ट ’ के तहत आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है। इस कानून में प्रावधान है कि यदि कोई भी देश रूस, ईरान या उत्तर कोरिया से हथियारों की खरीद करता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पडेगा।