5 मानवाधिकार कार्यकताओं की गिरफ्तारी का मामला: बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस से पूछा- जब मामला अदालत में है तो प्रेस कॉन्फ्रेस क्यों किया?

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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद पुणे पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (3 सितंबर) को सवाल उठाए हैं। सोमवार को हाई कोर्ट ने सवाल किया कि जब यह मामला कोर्ट में था तो महाराष्ट्र पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों किया? आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को गिरफ्तार सभी पांच मानवाधिकार कार्यकताओं को छह सितंबर तक के लिए घर में नजरबंद (हाउस अरेस्ट) रखने का आदेश दिया था।

दरअसल, 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों की तरफ से गिरफ्तारी के विरोध में याचिका दाखिल की गई थी। जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की न्यायिक हिरासत पर रोक लगा दी थी और कहा था कि सभी को छह सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक घरों में नजरबंद रखा जाए। इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस की ओर से पिछले हफ्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी।

इस प्रेस कॉन्फेंस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है कि महाराष्ट्र पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों आयोजित की, जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट ने यह टिप्पणी सोमवार को उस वक्त की जब जब इस मामले की जांच एनआईए से कराने के लिए दी गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हालांकि अदालत ने मामले की सुनवाई 7 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है, क्योंकि याचिका की कॉपी सभी पक्षों को नहीं सौंपी गई थी।

देश के अलग-अलग हिस्सों से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की नक्सलियों से कथित संपर्क के आरोप में हुई गिरफ्तारी और बाद में उनको सुप्रीम कोर्ट द्वारा नजरबंद रखने के आदेश के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने अपनी सफाई दी थी। भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में महाराष्ट्र पुलिस के एडीजी परमबीर सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि जब हमारे पास उनके नक्सलियों के साथ संबंध होने की पुख्ता जानकारी मिली तभी हमने उनलोगों के खिलाफ कार्रवाई किया। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा तथ्यों से साफ है कि उनके संबंध माओवादियों से हैं।

एडीजी ने प्रेस कांफ्रेंस में सुधा भारद्वाज का कॉमरेड प्रकाश को लिखा एक पत्र सुनाया। उसके बाद एक और पत्र पढ़ते हुए कहा, ’30 जुलाई 2017 का एक पत्र है। रोना विल्सन का लेटर है। 8 करोड़ रुपये की जरूरत बताई गई है जो एम-4 राइफल और एके-47 खरीदना था। ताकि पीएम मोदी को राजीव गांधी की तरह खत्म किया जा सके।’ जो चिट्ठी सामने आई है वह मानवाधिकारों की कानूनी लड़ाई लड़ने वाली कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज द्वारा लिखी गई बताई जा रही हैं। इन चिट्ठियों में आर्थिक सहायता देने की बात भी कही गई है।

आपको बता दें कि पुणे पुलिस ने कई राज्यों में 28 अगस्त को प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा था और उनमें से पांच, वरवरा राव, वेरोन गोंजाल्विस, अरुण फेरारिया, सुधा भारद्वाज और गौतम नवालखा, को गिरफ्तार किया था। एल्गार परिषद की जांच को लेकर ये छापे मारे गये थे। इस परिषद की वजह से कथित रूप से अगले दिन कोरेगांव भीमा में हिंसा फैली थी।

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