कर्नाटक और उत्तर प्रदेश व बिहार सहित देश के कई राज्यों में पिछले दिनों मिली हार बाद केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने सहयोगियों को मनाने के लिए इन दिनों जद्दोजहद कर रही है। दरअसल, एकजुट विपक्ष के कारण मिली हार के बाद बीजेपी के सामने अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के अपने सहयोगियों को साथ जोड़े रखना सबसे बड़ी चुनौती है। यही वजह है कि अलगे साल होने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने रूठे हुए सहयोगियों को मनाने की कवायद शुरू कर दी है।
File Photo: PTIइस बीच अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तेलुगू देशम पार्टी के बाद बीजेपी को उसके एक और मुख्य सहयोगी ने झटका दिया है। शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी हरियाणा में आगामी लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। बता दें कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से नाराज केंद्र में मोदी सरकार की मुख्य सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी(TDP) ने पिछले कुछ दिनों पहले एनडीए का साथ छोड़ दिया था।
समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा सुखबीर बादल ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पिपली नगर में अनाज बाजार में पार्टी की पहली प्रमुख रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमने पंजाब में वादा किया और पूरा किया। अब हम हरियाणा के लोगों के कल्याण के लिए काम करने की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं।’
उन्होंने पंजाबियों से अपील की कि वे हरियाणा में एक नया इतिहास लिखने के लिए अकाली दल के झंडे तले एकत्रित हों। उन्होंने कहा, ‘एक बार आप अकाली दल के तहत एकजुट हो गए तो आपको सत्ता प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता। यदि हम राज्य में सत्ता में आए तो कृषि क्षेत्र के लिए मुफ्त बिजली की नीति लागू करेंगे।’
उन्होंने सभी खेतों के लिए मुफ्त पाइप सिंचाई पानी, दलितों के लिए प्रति महीने 400 यूनिट मुफ्त बिजली के अलावा समाज के सभी वर्गों के लिए विभिन्न सुविधाओं की घोषणा की। गौरतलब है कि अब तक अकाली दल और बीजेपी साथ-साथ चुनाव लड़ते रहे हैं। पंजाब में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में भी दोनों पार्टियां साथ ही चुनाव लड़ी थीं लेकिन बुरी तरह हार गईं थीं।
बता दें कि पिछले दिनों शिवसेना ने भी साफ कर दिया था कि 2019 का लोकसभा चुनाव वह अपने दम पर लड़ेगी। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि पार्टी को पता है कि अमित शाह का एजेंडा क्या है। मगर शिवसेना ने एक प्रस्ताव पारित किया है। जिसमें हम सभी चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे।’ इसके अलावा बिहार में ही बीजेपी की एक और सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ भी सब कुछ सही नहीं चल रहा है।