गुजरात के नरोदा पाटिया दंगा मामले में हाईकोर्ट ने तीन दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट ने उमेश सुराभाई भरवाड़, पदमेंद्र सिंह जसवंत सिंह राजपूत और राजकुमार उर्फ गोपीराम चौमल को सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने तीनों पर एक हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है।
बता दें कि साल 2012 के एक फैसले में तीनों दोषियों- पीजी राजपूत, राजकुमार चौमल और उमेश भरवाडॉ समेत 29 दूसरे को एसआईटी की विशेष अदालत ने बरी कर दिया था। लेकिन इसके बाद याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस साल 20 अप्रैल को इन तीनों को इन्हें आगजनी करने और हिंसक भीड़ का हिस्सा बनने का दोषी पाया जबकि बाकी 29 लोगों को बरी कर दिया था।
2002 Naroda Patiya case: Gujarat High court pronounces 10 years rigorous imprisonment and a fine of Rs 1000 each for convicts Umesh Bharwad, Padmendrasinh Rajput and Rajkumar Chaumal.
— ANI (@ANI) June 25, 2018
आपको बता दें कि इसी मामले में इस साल गुजरात हाईकोर्ट ने 20 अप्रैल 2018 को BJP नेता और पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया था, जबकि बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को दोषी ठहराते 21 साल की सजा दी गई थी। इस मामले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले को पलटते हुए इस मामले में माया कोडनानी समेत 18 लोगों को बरी कर दिया।
अदालत का कहना था कि पुलिस ने कोई ऐसा गवाह पेश नहीं किया जिसने माया कोडनानी को कार से बाहर निकलकर भीड़ को उकसाते देखा हो। वहीं, कोर्ट ने बाबू बजरंगी की सजा को भी आजीवन कारावास से कम कर 21 साल कर दिया था। बाबू बजरंगी समेत 11 लोगों को 21 साल की सज़ा सुनाई गई थी जबकि एक व्यक्ति को 10 साल की सजा सुनाई गई थी।
गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के कुछ डिब्बे जलाए जाने के बाद भड़के दंगे में नरोदा पाटिया में सबसे ज्यादा हिंसा वाले इलाकों में से एक हैं। 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था। इस नरसंहार में 97 लोग मारे गए थे जिनमें ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के थे।