वरिष्ठ पत्रकार एवं सुप्रसिद्ध लेखक राजकिशोर का सोमवार (4 जून) को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। निमोनिया से पीड़ित 71 वर्षीय राजकिशोर को एम्स के गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) में भर्ती कराया गया था। फेफड़ों में संक्रमण के बाद उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई जिसके बाद सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार उनकी पत्नी के अलावा उनकी पुत्री है।
अभी पिछले दिनों करीब दो महीने पहले ही उनके 40 वर्षीय पत्रकार पुत्र विवेक का ब्रेन हैम्रेज से निधन हो गया था। करीबियों के मुताबिक बेटे की मौत का उन्हें गहरा सदमा लगा था। राजकिशोर को सीने में संक्रमण होने के कारण निमोनिया हो गया था और उन्हें करीब तीन सप्ताह पूर्व एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था जहां सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे करीब अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार सोमवार दोपहर तीन बजे निगम बोध घाट के विद्युत शवदाह गृह में किया जाएगा।
2 जनवरी 1947 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्मे राजकिशोर की पढ़ाई-लिखाई कोलकाता विश्वविद्यालय में हुई और उन्होंने 80 के दशक में कोलकाता से शुरू चर्चित साप्ताहिक पत्र ‘रविवार’ से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की। उसके बाद वह कुछ समय तक उन्होंने वहीं से प्रकाशित परिवर्तन नामक पत्रिका में भी काम किया। उसके बाद उन्होंने नई दिल्ली से प्रकाशित ‘नवभारत टाइम्स’ में सहायक संपादक के रूप में काम करना शुरू किया और उन्होंने पत्रकारिता में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई।
उन्होंने ‘दूसरा शनिवार’ मैगनीज का संपादन किया था। वह कई अखबारों में समसामयिक विषयों स्तम्भ भी लिखते रहे। राजकिशोर ने ‘जनता का रिपोर्टर’ के लिए भी लेख लिखते रहे। उनकी प्रमुख कृतियों में दो उपन्यास ‘सुनंदा की डायरी’ और ‘दूसरा सुख’ प्रमुख है। उनका कविता संग्रह ‘पाप के दिन’ और व्यंग्य संग्रह ‘राजा का बाजा’ भी काफी लोकप्रिय था। उनको लोहिया पुरस्कार और बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के राजेंद्र माथुर स्मृति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
वरिष्ठ पत्रकार लीला मेनन का भी निधन
राजकिशोर से पहले वरिष्ठ पत्रकार एवं मलयालम दैनिक ‘जन्मभूमि डेली’ की मुख्य संपादक लीला मेनन का भी रविवार (4 जून) की रात निधन हो गया। वह 86 वर्ष की थी। उम्र-जनित बीमारियों से पीड़ित मेनन को कुछ माह पहले एक केयर होम में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार रात उन्होंने अंतिम सांसे ली। उनकी पार्थिव देह को अंतिम संस्कार से पहले आम लोगों के दर्शनार्थ एरनाकुलम टॉउन हाल में रखा जायेगा।
वर्ष 1932 में कोच्चि जिले के वेंगोला में जन्मी मेनन ने अपनी कालेज की पढ़ाई हैदराबाद में पूरी की। उन्होंने 1978 से दिल्ली में अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में अपनी पत्रकारिता के करियर की शुरुआत की और करीब 22 सालों तक यहां सेवाएं दी। जन्मभूमि डेली में मुख्य संपादक के रूप में सेवाएं देने से पहले वह हिन्दू, आउटलुक और मध्यमम जैसे अंग्रेजी एवं मलयालम समाचारपत्रों के लिए स्तंभ लिखती रही।
समाचार एजेंसी यूनिवार्ता के मुताबिक मेनन केंसर की बीमारी से जूझती रही और पूर्ण रूप से सुधार की स्थिति में पहुंच गयी थी, लेकिन पिछले दो वर्षों से वह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और सांस की बीमारी से पीड़ित रही। उन्हाेंने वर्ष 2007 में अपनी जीवनी ‘निलिकथा सिम्फोनी’ का प्रकाशन किया, जिसमें एक महिला पत्रकार के रूप में श्रम से लेकर केंसर से जूझने और इससे उबरने जैसी जीवन के प्रमुख पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी गई थी।
सोशल मीडिया पर शोक की लहर
Kerala's first star woman reporter… Remembering Leela Menon's hard hitting reports in Indian Express in 80s… Om Shanti ??? https://t.co/7c6ioMCnQS
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) June 3, 2018
Leela Menon passes away. A pioneering female journalist. Will miss her. pic.twitter.com/icsZymutsq
— N.S. Madhavan این. ایس. مادھون (@NSMlive) June 3, 2018
Smt Leela Menon, First Women Journalist of Kerala, Former editor Janmabhumi, is no more. pic.twitter.com/KKKzq4SzEV
— J Nandakumar (@kumarnandaj) June 3, 2018
Leela Menon the first woman journalist of the state passes away in #Kochi #Kerala @NewIndianXpress pic.twitter.com/2d5sh7XiMn
— Anilkumar (@anilkumartcym) June 3, 2018
Leela Menon, will always remember how proud a Hindu you were – and our Bhavan's Journalism Masters Diploma in common #Pranams pic.twitter.com/6GBWY0hmHI
— Jayashankar (@jaypanicker) June 4, 2018
#LeelaMenon and my mother were mates in Menon's Hostel, Egmore, Chennai in 1952-54. When I took charge of Kerala @NewIndianXpress, Leelachechi kept repeating, you are my Aleymma's son. She was always there for us, graced some of our sendoff get-togethers. RIP, #Braveheart #Leela. pic.twitter.com/8F4E6vVwiD
— Vinod Mathew (@veeyemje) June 4, 2018
वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, और बेलाग सच के प्रवक्ता राजकिशोर जी का आज सुबह देहांत हो गया। समाजवादी विचार परम्परा में पले बड़े हुए मुझ जैसे लोगो के लिए यह व्यक्तिगत आघात है। उनकी आलोचना सुनना भी अच्छा लगता था, क्योंकि वह आवाज बाहर नहीं, अपने भीतर से सुनाई देती थी।
प्रणाम! अलविदा!— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) June 4, 2018
वरिष्ठ संपादक और लेखक श्री राजकिशोर जी नहीं रहे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !!
— ANURAG ANANT (@ANURAGANANT1) June 4, 2018
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक आदरणीय राजकिशोर जी का असमय निधन बहुत कष्टदायक है,दुखद. अभी पिछले दिनों 9 मई की पोस्ट में उन्होंने बहुजनों से आह्वान किया था कि."बहुजनों,देश का जिम्मा लेने आगे आओ!" इससे पहले कि वह इस मुहिम पर कार्य करते,बीमार पड़ गये! और अन्ततः वह चले गये!
सादर नमन.— Dkbhaskar (@dkbhaskar41) June 4, 2018
मैं #राजकिशोर जी से कभी मिला नहीं। लंबे समय से उनका लिखा पढ़ता था। उनकी समझ का कायल था। सामाजिक और राजनीतिक मामलों में उनके पास एक सम्रग अंतर्दृष्टि थी। भाषा के धनी तो वे थे ही। आज उनके निधन की खबर से स्तब्ध हूं। अभी उनकी बहुत जरूरत थी। आप बहुत याद आएंगे सर।
विनम्र श्रद्धांजलि।
— अभय (@abhayht) June 4, 2018
वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर के निधन पर दिवंगत आत्मा को हमारी विनम्र श्रृद्धांजलि। ॐ शान्ति https://t.co/G1pMFxa957
— SATYAVIR SINGH (@svsingh32) June 4, 2018