पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने का आमंत्रण स्वीकार करने के बाद शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बता दें कि कांग्रेस के दिग्गज नेता रह चुके मुखर्जी सात जून को RSS के मुख्यालय में स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। इस मामले में पहले कांग्रेस चुप्पी साधे रही फिर एक पूर्व सांसद और एक पूर्व मंत्री ने इस पर सवाल खड़े कर दिए है।
फाइल फोटो।कांग्रेस ने भले ही सीधे तौर पर इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी हो लेकिन, पूर्व केंद्रीय मंत्री सीके जाफर शरीफ ने मुखर्जी को पत्र लिख उनसे कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का आग्रह किया है। समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक शरीफ ने अपने पत्र में लिखा है कि वह मुखर्जी के इस फैसले से स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि वह RSS के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति के शामिल होने के फैसले से अन्य धर्मनिरपेक्ष नेताओं की तरह वह भी हतप्रभ हैं।
पूर्व रेल मंत्री जाफर शरीफ ने अपने पत्र में लिखा है, ‘मुझे निजी तौर पर लगता है कि आप जैसा एक धर्मनिरपेक्ष शख्स जो दशकों तक सक्रिय राजनीति में रहा और देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचा उसका लोकसभा चुनाव से पहले संघ परिवार के मुख्यालय में जाना सही नहीं होगा।’ शरीफ के पत्र पर पूर्व सांसद एच हनुमनथप्पा का भी हस्ताक्षर है।
उन्होंने पत्र में आगे लिखा है, ‘धर्मनिरपेक्ष लोगों के अलावा कांग्रेस को लोग भी इससे दुखी हैं। उन्हें उम्मीद है कि आप अपने फैसले की समीक्षा करेंगे। मैं भी आपसे आग्रह करता हूं कि आप अपने फैसले पर पुर्नविचार करें और धर्मनिरपेक्षता और देश के हित में संघ परिवार के मुख्यालय में जाने से परहेज करें।’ हालांकि कांग्रेस ने मुखर्जी के RSS मुख्यालय जाने के लिए हामी भरने की खबर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
कांग्रेस के प्रवक्ता टॉम वडक्कन से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने कहा कि अभी कार्यक्रम का आयोजन ही नहीं हुआ है तो वह इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। उन्होंने कहा, ‘अभी कार्यक्रम नहीं हुआ है। मुझे भी इस बारे में मीडिया से ही जानकारी मिली है और मैं अन्य सूचनाएं इकट्ठा कर रहा हूं। कार्यक्रम होने तक मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा।’
हालांकि पार्टी के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने इसे ‘अटपटा’ करार देते हुए मुखर्जी के इस कदम पर सवाल खड़े कर दिए। दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए मुखर्जी हमेशा आरएसएस के विचारों के खिलाफ रहे तो आखिर वह इस संगठन के कार्यक्रम में क्यों शामिल हो रहे हैं। दीक्षित ने कहा, ‘‘प्रणब दादा के संघ के बारे में लगभग वही विचार रहे हैं जो कांग्रेस के रहे हैं कि आरएसएस एक फासीवादी संगठन है। आरएसएस की मूल विचाराधारा ही कांग्रेस के खिलाफ है। मुझे यह अटपटा लग रहा है कि आखिर वह उनके कार्यक्रम में क्यों शामिल होने जा रहे हैं?’’
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार किया है, पूर्व सांसद दीक्षित ने कहा, ‘‘मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि पार्टी को बुरा जरूर लगा होगा। वैसे, आगे पार्टी की आधिकारिक टिप्पणी का इंतजार करिए।’’ वहीं, बीजेपी ने मुखर्जी का बचाव किया कि आरएसएस कोई पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है। यह राष्ट्रवादियों का संगठन है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को यह कहकर मुखर्जी का बचाव किया कि आरएसएस कोई पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है। यह राष्ट्रवादियों का संगठन है। गडकरी ने कहा, ‘‘आरएसएस पाकिस्तान का आईएसआई नहीं है। आरएसएस राष्ट्रवादियों का संगठन है।’’
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने मंगलवार को कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर स्थित मुख्यालय में होने वाले एक कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार लिया है और इसमें कुछ भी ‘आश्चर्यजनक’ नहीं है। आरएसएस के नेता नरेंद्र कुमार ने एक बयान में कहा कि मुखर्जी ‘तृतीय वर्ष वर्ग’ के समापन समारोह में मुख्य अतिथि होंगे और ‘स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे।’ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समारोह के मुख्य वक्ता होंगे।
बता दें कि आरएसएस अपने स्वयंसेवकों को पूर्णकालिक प्रचारक बनाने के लिए तीन साल का एक वर्ग रखता है। अब इसे संघ शिक्षा वर्ग नाम दिया गया है। इस वर्ग में 3 साल बिताने के बाद स्वयंसेवक, संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन जाते हैं।इस ट्रेनिंग को पहले ऑफिसर ट्रेनिंग कोर्स (ओटीसी) भी कहा जाता था। RSS ने कहा कि 25 दिवसीय ‘तृतीय वर्ष वर्ग’ प्रत्येक वर्ष नागपुर में मनाया जाता है, जिसमें पूरे देश से सदस्य प्रशिक्षण के लिए भाग लेते हैं। बयान के अनुसार, इस वर्ष, यह 14 मई को शुरू हुआ था और यह सात जून को समाप्त होगा, जिसमें देश के विभिन्न भागों से 709 स्वयंसेवक अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।